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मूलनायक श्री चिंतामणी पार्श्वनाथजी
वरकाणा के निकट बिजोवा में श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ है
उसके नीचे सं. ११२३ का लेख है । भमति में श्री पार्श्वनाथजी के
नीचे १७७२ का लेख है । भमति में प्रभुजी की नीचे और एक
लेख है । जीसमें सं. । १९०३ लिखा है । जैनों के ३५० घर है धर्मशाला और आयंबिलशाला भी है ।
देरासरजी ११०० साल पूराना है । बाहर दूसरा श्री संभवनाथजीका देरासरजी है राणी स्टेशन से और वरकाणा तीर्थ से ५ कि.मी. के अंतर पर है। राणी स्टेशन से राणीगाम २ कि.मी. है ।
जनम जयति
मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी
सरस शांति सुधारस सागरं, शुचितरं गुणरत्न महागरं; भविकपंकज बोध दिवाकरं, प्रतिदिनं प्रणमामि जिनेश्वरं.
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
२०. राणी तीर्थ
राणी तीर्थ जैन देरासरजी
मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी
यहाँ के मूलनायक सुपार्श्वनाथजी प्राचीन है । वि. सं. २०१६ में इस प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी । वह प्रतिष्ठा
१७५ साल पहले हुई थी। जो हाल में देरासरजी पर है। भूयहरे
में सहस्रफणा पार्श्वनाथ बाजु के देरासर में ऋषभदेवजी की प्रतिष्ठा
संवत २०३४ में हुई थी उपर के भागमें श्री सुमतिनाथजी है ।
जैनो के २६० घर है, ४ उपाश्रय और २ धर्मशालाएं है । राणी
स्टेशन पर देरासर उपाश्रय और जैनों के घर भी है।
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