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________________ राजस्थान विभाग : २ पाली जिला (३९३ मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी । श्री वरकाणा पार्श्वनाथ प्राचीन प्रतिमा है। देरासर भी पूराना है । अंतिम जिर्णोद्धार सं. २०१४ में हुआ था । भमतियाँ का जिर्णोद्धार सं. १९८९ में हुआ था । मूलनायक और भमति में रंगमंडप में सभी प्रतिमाजी बहुत ही सुंदर और आकर्षित दिखाई देती है । भमति में अमुक प्रतिमाजी पर सं. १९५१ का लेख है। बहुत सी स्वस्पवान और नाजुक प्रतिमाए संप्रति के समय की है भमति में तीन भगवान में से बीच में हर एक भगवान की प्रतिमा के नीचे सं.१९५१ का लेख है । बाजु के स्वतंत्र मंदिर भमति के चौमुखजी के नीचे सं. २०१४ फाल्गुन सुद ३ और शुक्रवार का लेख है । मूलनायक पार्श्वनाथ सन्मुख बाँये और भमति में सं.. १९९१ में जिर्णोद्धार होने का लेख है । मूलनायक की बिलकुल निकट में छोटा परिकर प्राचीन है | परंतु बड़ा परिकर सं. २०१४ | में हुआ है । प्रतिमाजी मूलनायक पार्श्वनाथजी बाजु के खेत में से करीब १६०० से २००० साल पहले निकले थे यह देरासर संप्रति राजाने बनवाया था। तीसरे रंगमंडप के एक स्थंभ पर सं. १००३ | का लेख है । एक धातु के पंचतीर्थी पर सं. १५२५ का लेख है। यह सोमसुंदर सू. म. से प्रतिष्ठित श्री मुनिसुव्रत स्वामी है । चारों रंगमंडप कलायुक्त है । दुसरे रंगमंडप में एक हाथी है । जीसके पर यह देरासर बनानेवाले शेठ और शेठानी बैठे है । चौथे रंगमंडप के आगे बड़े हाथी पर अंबाडी में शेठ शेठानी की मूतियाँ होने का संभव है । जीस में बड़ी मूर्तिकी डोक पर हार है और हाथ जूडे हुए है मूलनायक के आगे प्रथम रंगमंडप में बाहर के दाहिने भागमें भमति में सं. १६६१-१६८८ और सं. १७०० उपर का लेख है । उसके आगे सं. १६९४ का लेख है । गर्भगृह में प्रभुजी की बाँये। और दाहिने और छड़ वाली जाली है । भमति में प्रभुजी के नीचे । सं. १२५६ का लेख है । भमति में कई प्रतिमाजी है वह मंदिर के मूलनायक की निकट में है। इसकी पर सं. १९५८ का लेख है।। वरकाणा गढ में प्रवेशद्वार के निकट में भींत में सं. १५८५ और सं. १६८२ का लेख है। पyyyyyyyyyyy)))) 6000 १९. बीजोवा तीर्थ meccacccc बीजोवा तीर्थ जैन देरासरजी मूलनायक श्री चिंतामणी पार्श्वनाथजी (११०० साल) (00
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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