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मूलनायक श्री विमलनाथजी
१०. बाली
मूलनायक श्री विमलनाथजी
बाली का श्री विमलनाथजी मंदिर शिखरबंध है । ५०० साल पूराना विशाल और भव्य है । २० साल पहले जिर्णोधार हुआ था। पहली मंझिल पर भदेवजी मूलनायक है। दूसरी मंझिल पर श्री शीतलनाथ मूलनायक है। भूयहरे में श्री शीतलनाथजी प्राचीन है । इसके पहले श्री ऋषभदेवजी मूलनायक थे । जिर्णोध्धार होने के समय विमलनाथजीकी पधरामणी की थी । भूयहरे में ४ बड़ी प्रतिमाजी है । १. राता महावीर, २. श्री सुपार्श्वनाथजी, ३. वासुपूज्य स्वामी, ४. नाम नहीं है बहुत पुराना है मंदिरका जिर्णोध्धार वि. सं. १०४० में हुआ था। हाल के मूलनायक श्री विमलनाथजी आदि की वि.सं. २००६ मे बाली के श्रावकोने प्रतिष्ठा की थी।
तीन शिखरबंध देरासर है । १ विमलनाथ । २ मनमोहन पार्श्वनाथ ३ चंद्रप्रभस्वामी ४ घर देरासरजी धर्मनाथ भगवान उपाश्रय । ५ घर देरासर श्री सुपार्श्वनाथ प्राचीन धातु के परिकर के साथ । ६ संभवनाथजी विमलनाथजी के देरासर में सं. ३०० का लेख है। सबसे पहले मूलनायक श्री शांतिनाथजी बाद में
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१
मूलनायक श्री मनमोहन पार्श्वनाथजी (२५०० साल पुराना ) आदीश्वरजी और हाल में विमलनाथजी है। विमलनाथजी के पहले आदीश्वर मूलनायक थे जीस की प्रतिष्ठा श्री विजयवीर सू. म. ने की थी । बावन जिनालय था परंतु भमति में मूर्ति को पधराया नहीं था । परंतु संघ में कुछ गरबड़ और अशांति का वातावरण होने से सं. २००६ में श्री विमलनाथजीकी प्रतिष्ठा संपन्न हुई और देरासर फीरसे बनाया गया । यह गाँव २००० साल पूराना है। पार्श्वनाथजी सेवा गावँ के तालाब में से निकले थे गाड़ा यहाँ आया और फीर देरासर का निर्माण किया और प्रतिष्ठा संपन्न हुई। यहाँ हाल में जैनों के १००० पर है ११ जैन उपाश्रय है । जैन पाठशाला चालु है । साधु और साध्वीजी को पढाने की एक पाठशाला भी है । जीस में पंडित हिंमतलालजी ने अच्छा काम किया है। वे गत में स्वर्ग को सिधार गये है। जैनों में संप की भावना भली भांति देखाई देती है। फालना ७ कि.मी. के अंतर पर है। फालना और सादड़ी के बिच में बाली आता है।
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