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________________ राजस्थान विभाग २ पाली जिला 7 बाली श्री विमलनाथजी जैन देरासरजी 20 वीर तारुं नाम वहालुं लागे हो स्वाम, शिवसुख दाया, क्षत्रियकुंडमां जन्म्या जिणंदजी, दिगकुमरी हुलराया हो स्वाम शिव. १ माथाना मुगट आंखोना तारा, जन्मथी मेरु कंपा, हो स्वाम शिव. २ मित्रोनी साथे रमता रमतां, देवे भुजंग रूप ठाया, हो स्वाम शिव. ३ निर्भय नाथे भुजंग फेंकी, आमलकीडाने सोहाया, हो स्वाम. शिव. ४ | महावीर नाम देवनाथे त्यां दीधुं, चारित्र लइ प्रभु कर्मो हटाइ, पंडित विस्मय पाम्या, हो स्वाम. शिव. ५ | हिंसा मृषा चोरी मैथुन वारी, ११. मुछवाले महावीर केवलज्ञान प्रगटाया, हो स्वाम. शिव. ६ मुछवाले महावीर जैन देरासरजी आत्म कमलमां शैलेथी साधी, परिग्रह बूरा बताया हो स्वाम. शिव. ७ शिवलब्धि उपाया, हो स्वाम. शिव. ८ (३८१ PREME CONNEC 又
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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