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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग
८. सादडी.
सादडी जैन देरासरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
सादडी गाँव में प्रवेश करते ही श्री पार्श्वनाथ भगवान का सादडी गाँव में श्री पार्श्वनाथजी का प्राचीन शिखरबंध देरासर शिखर बंध देरासर आता है । श्री शांतिनाथजी के नीचे सं.२००६ है। राणकपुर का देरासर बंधाने के समय यह देरासर बना हुआ है। का लेख है । दोनो बाजु की डेरीओं मे पादुकाजी है।
बहुत सी प्रतिमाएं संप्रति राजा के समय की है । एक प्रतिमाजी में मूलनायक श्री आदीश्वरजी
सं. १६५३ का लेख है । रंगमंडप में एक परिकर पंचतीर्थी आरस सादडी बस स्टेन्ड की निकट में तीन देरासरजी है । श्री की है उस पर सं. १५०३ का लेख है और पार्श्वनाथजी की बाँये आदीश्वर देरासर में श्री आदीश्वर, श्री धर्मनाथ और श्री ओर परिकर पंचतीर्थी श्याम आरस के पार्श्वनाथजी संप्रति राजा पार्श्वनाथ तीन गर्भगृह में तीन मूलनायक प्राचीन संप्रति राजा के के समय के है शायद वे पूर्व मूलनायक भी होंगे ऐसा अनुमान समय के है । यह देरासरजी की प्रतिष्ठा सं. २०१५ में पू.आ. श्री किया जाता है । यह शिखरबंध देरासर ९०० साल पूराना है । वल्ल्भ सूरी म. के पट्टधर पू.आ. श्री समुद्र सू. म के वरद् हस्तों से अर्धबावन जिनालय है । एक मूर्ति के नीचे कि चेइन थी यह कुछ संपन्न हुई है । एक कंपाउन्ड में दो अलग देरासर शिखरबंदी है । नवीनसा लगता है । बाजु में शांतिनाथजी का घर देरासर है। दूसरे देरासर के मूलनायक आदीश्वर संप्रति राजा के समय के है । उपाश्रय में श्री माणीभद्र वीर है । श्री महावीर स्वामी का तीसरा चौमुखजी आदीनाथजीका गुंबजवाला है । प्रतिष्ठा सं. समवसरण मंदिर नया है । वि. सं. २०३५ में पू.आ. श्री सुशील २००५ में संपन्न हुई थी।
सू. म. के वरद् हस्तों से संपन्न हुई है | श्री महावीर स्वामी का इनमे से चौथा नागेश्वर पार्श्वनाथजी देरासर श्री बाबुलालजी बडे होल में छोटा तीन शिखरवाला काच का देरासर नया है । रांकाने पू.आ. श्री विजयरामचन्द्र सू. म. के उपदेश से बनाया था । मूलनायक की सं. २०३६ में प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी । जैन सं. २०४९ में पू.आ. श्री इन्द्रदिन सू. म. के वरद् हस्तों से पावापुरी मु. सादडी । यहाँ से राणकपुर १० कि.मी. पर है । प्रतिष्ठा संपन्न हुई है।
निकट में फालना स्टेशन है। MONNOVE MONOMOVE WOW NO VO NO