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________________ राजस्थान विभाग : १ सिरोही जिला (३४७ १५. पींडवाड़ा तीर्थ श्री पीडवाड़ा जैन देरासरजी व्यु दृश्य सुद ६ पू. आ. श्री विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. तथा और उनके मुख्य पट्टधर श्री रामचंद्र सू. म. के वरद हस्तों से प्रतिष्ठा संपन्न मूलनायक श्री महावीर स्वामी पीढी शेठश्री कल्याणजी सौभाग्यचंदजी पीड़वाडा । यह श्री महावीर स्वामी का देरासर है । प्रतिमाजी राजा संप्रति के समय की हैं । रंगमंडप में धातु के दो काउस्सग्गिया छ फूट की उंचाई के है । उसके नीचे वि.सं. ७५५ का लेख है । एक आदीश्वर और एक महावीर स्वामी के अलावा भमति में एक रूम में धातु की अनेक प्रतिमाजी हैं । निकट के बसंतपुर नगर के मँहरे में से निकले है । आज वह जगा जंगल के रूप में है। यह महावीर स्वामी देरासरजी का जीर्णोद्धार सं. २०१६ वैशाख १. महावीर स्वामी का देरासर पांचसो साल पूराना है । २. गोडीजी पार्श्वनाथ देरासर प्राचीन था थोड़े साल पहले जीर्णोद्धार हुआ है । मूलनायक पांचसो साल पूराने है । ३. शंखेश्वर पार्श्वनाथ का देरासर बीलकुल नया है इसकी प्रतिष्ठा सं. २०३४ में संपन्न हुई थी । जैन धर्मशाला और भोजनशाला है । जैन पाठशाला है ।
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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