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राजस्थान विभाग : १ सिरोही जिला
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८. सिरोही
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मूलनायक श्री ऋषभदेवजी
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दूसरे देरासरमें मूलनायक श्री आदीश्वरजी
मूलनायक श्री आदीश्वरजी
श्री आदीनाथ मंदिर बावन जिनालय है, यह सिरोही सं.
१४८२ में महाराव शिवभाण के पुत्र शेषमलाजी चौहान ने बसाया था। शहर की स्थापना के पहले इस जगा पर सं. १३२३ में आसो सु. पंचमी के दिन एक भाविक शेठ ने यहाँ का शांत वातावरण को देखते हुए आदीनाथ भगवान का मंदिर शरु किया । सं. १३३९ में आषाढ सुद ३ और मंगलवार के दिन इसकी प्रतिष्ठा संपन्न हुई ईसे अचल-गच्छ का मंदिर कहा जाता है । सं. १६१० में मागसर सुद १० के दिन हीर सू. म. को यहाँ आचार्य की पदवी प्रदान कि गई १६३४ में महा सुद पंचमी चार मंझिल के चौमुखी श्री आदीनाथजी की प्रतिष्ठा हीर सू.म. ने करवाई है । १५२० में आ. श्री हरिभद्र सू.म. ने चिंतामणि पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा करवाई है। यहाँ भी हीर सू. मं. की ३ फूट की प्रतिमा है । जीसमें सं. १६५९का लेख है । संवत १६५७ में शांतिनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा जिनचंद्र सू.म. के हस्तों से हुई जिनदत्त सू. जिनकुशल सू.म. की मूर्तियाँ है । सं. १६६१ का लेख है । श्री संभवनाथजी, शीतलनाथजी, गोडी पार्श्वनाथजी, कुंथुनाथजी (१६५३) श्री महावीर स्वामी (१७२१) श्री अजितनाथजी (१६५८) श्री नेमिनाथजी, श्री शांतिनाथजी, श्री आदीनाथजी आदि के १९ मंदिर है । अचल गच्छ श्री आदीश्वरजी जैन टेम्पल संस्थान, टेम्पल गली मु. सिरोही, सिरोही रोड से २४ कि.मी. की दूरी पर है।
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सिरोही समूह जैन देरासरजी
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