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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
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सिरोही जैन देरासरजी समूह दश्य
_ ९. श्री बामणवाडाजी तीर्थ
मूलनायक श्री महावीर स्वामी पेढी - कल्याणजी परमानंदजीकी पेढी-सिरोही पो.वीरवाड़ा
00 साल पहले श्री नंदिवर्धन राजाने श्री महावीर स्वामी का यह देरासर बनवाया और जीवित स्वामी की प्रतिष्ठा करवाई. बावन जिनालयमें भमति में संप्रति और कुमारपाल - विमलशाह के समय की बहुत प्रतिमाजी है । संप्रति राजा हर साल वहाँ यात्रा के लीये आते थे । इस प्रकार नागार्जुनसू.म. स्कंदनसूरीजी पादलिप्त सू.भी हररोज पाँच तीर्थ की यात्रा करते थे इसमें यह तीर्थ है । सं. ८२१ में पोरवाल मंत्री सामंत शाहने जयानंदसू.म. के उपदेश से जीर्णोद्धार करवाया नई प्रतिष्ठा वीर सं.२५०१ जयेष्ठ मासमें पू.आ.श्री सूशील सू.म. के वरद हस्तो से हुई। परमात्माश्री महावीर स्वामी के कानों में कीले (खीला) लगाये थे
वो जगा इस देरासर की बाजू में है | जीस पर उनके चरण है।
और उसकी पर श्री महावीर स्वामी की काउस्सग्गिया प्रतिमा की प्रतिष्ठा की थी । इस तीर्थ पर समेत शीखरजी की प्रतिकृति बनाई है । और छोटी देरीओं में चरण पादूका है । कोई प्रभुजी की रचना भी है । नीचे महावीर स्वामी का तीर्थ और उपर पाँच देरासरजी है । और चरण पादुकाएं भी है । नीचे की बाजु में दो देरासरजी है | नीचे श्री महावीर भगवान के २७ भवों का पट्ट दर्शन है । अमराजी रावल ब्राहमण की मूर्ति सं. १८२१ मैं पधराई है । जो महावीर स्वामी को रूबरु मीलते और बात भी करते थे । वे परम भक्त थे ऐसा कहा जाता है । सिरोही रोड ३ कि.मी. है । पींडवाडा ८ कि.मी. है । सिरोही शहर १६ कि.मी. है। धर्मशाला बस स्टेन्ड के सामने है।
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