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________________ राजस्थान विभाग : १ सिरोही जिला (३३१ २. मुंगथला तीर्थ मुगथला तीर्थ जैन देरासरजी मूलनायक श्री महावीर स्वामी मूलनायक श्री महावीर स्वामी पेढी : कल्याणजी परमानंदजी - सिरोही राजस्थान श्री महावीर स्वामी आबुरोड के निकट सिरोही से लाई हुई प्रतिमा पर सं.१०७१ का लेख है । ६० से ज्यादा खंभेवाला रंगमंडप है । एक खंभे पर सं. १४४२ का लेख है । गर्भगृह के शिलालेख के मुताबिक श्री महावीर स्वामी छद्म अवस्था में इस जगे पधारे थे । और आबु आदि जगे पर उन्होंने विहार किया था । उस समय महावीर स्वामी की आयु लगभग ३७ साल की थी । और उस समय श्री पूर्ण राजाने यह देरासर बनवाया था । श्री केशी गणधर के कर कमलों से यह मूलनायक श्री महावीर स्वामी की प्रतिष्ठा की थी। अंतिम जीर्णोद्धार ता. १९-५-१९५९ सोमवार के दिन हुआ था । (१) मुलनायक श्री महावीर स्वामी की बड़ी प्रतिमा काउस्सग्गीया है। (२) गर्भागार के आगे बड़ी प्रतिमा रंगमंडप में श्री पार्श्वनाथ की दो बाजु में काउस्सग्गीया है । एक जगा पर सं.१३८९ का लेख है । जीर्णोद्धार के बाद २०१५ में वैशाख सु. १० के दिन पू.आ. हर्ष सूरीजी म. के वरद् हस्तों से प्रतिष्ठा संपन्न हुई । गाम में एक भी जैन का घर नहीं है । पुजारी परमार राजपुत कुटुंब के साथ रहते है | श्री कल्याणजी परमानंदजी की पेढी (पीढ़ी) सिरोही यहाँ का वहीवट कर रही है। ३. रेवदर मूलनायक श्री शातिनाथजी मूलनायक श्री शांतिनाथजी की प्रतिष्ठा वि.सं. २०३५ में हुई। पहले पुराना मंदिर था उपर की मंजिल में आदीश्वरजी प्राचीन है। जैन के ५५ घर है - यहाँ का संघ व्यवस्था करती है, एक बडी धर्मशाला है। यह स्थान जीरावला तीर्थ जाते समय बीच में आता है । इसका अंतर ५ कि.मी. है । स
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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