________________
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEER
Hal
मूलनायक श्रीशांतिनाथजी
रेवदर जैन तीर्थ देरासरजी
४. वरमाण तीर्थ
मूलनायक श्री महावीर स्वामी रंगमंडप में काउस्सग्गिया में संवत १२५१ का लेख है। रंगमंडप के आगे प्राय : ४२ स्थंभका दूसरा मंडप है। और एक शासन देव का छोटा मंदिर है जीस मे संवत १२४२ का लेख है (वरमाल वर्धमान) ब्रह्मानपुर मूलनायक श्री महावीर स्वामी २५०० साल पुराने है संवत २०३६ में यहाँ का जीर्णोद्धार हुआ था मूलनायक श्री महावीर स्वामी. श्री महावीर स्वामी की विद्यमानता में भरा हुआ है और प्रतिष्ठित है। उपर की मंजिल में मूलनायक श्री सुमतिनाथजी है, और यहाँ एक ही प्रतिमा उपर की बाजुमें है । नीचे के भागमें मूलनायक श्री महावीर स्वामी की साथ सात आरस की प्रतिमाए है । यह स्थान दर्शनीय और माहक तीर्थ है । एक बडी धर्मशाला और भोजनशाला भी है - यह तीर्थ की व्यवस्था और संचालन मंडार का जैन संघ करता है। मंदिर की निकट में एक शासन देवी की बडी मूर्ति है, जीसकी पूजा होती है । यहाँ एक स्वतंत्र कक्ष है, जीसमें श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथका बड़ा पाँच फूट का फोटोग्राफ है - यहाँ जैनो के ५ घर है। श्री श्रेणिक महाराजने यह महावीर स्वामी की प्रतिमा भराइ है, और स्थापना भी उन्होंने करवाई है कहानवड़ बहुत बड़ा है । शुक्लतीर्थ जैसा यहाँ प्राचीन मंदिर है।
मुलनायक श्री महावीर स्वामी - SEREEEEEEEEEEEEEEEER