________________
३०६)
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
शेजूंजा गढ ना वासी रे, मुजरो मानजो रे
सेवकनी सुणी वातोरे, दिल मां धारजो। मैं दीठो तुझ देदार, आज मने उपज्यो हर्ष अपार
साहिबानी सेवारे, भव दुःख भांज शेरे॥१॥ अरज अमारी रे, दिम माँ धारजो रे,
चोरासी लाख फेरारे, दूर निवार जोरे। मने दुर्गति पडतो राख, दरिशण वहेलेरु रे दाख।
साहिबानी सेवारे, भव दुःख भांजशे रे ।।२।। दोलत सवाई रे - सोरठ देशनी रे.
बलिहारी हुँ जाऊं रे प्रभु तारा वेषनी रे, तारुं रूडं दीर्छ रूप, मोह्या सुरनर वृंद ने भूप,
साहिबानी सेवा रे. भव दुःख भांजशेरे ।।३।। तीरथ न कोई रे शत्रुजय सारिखुरे,
प्रवचन पेखी रे कींधु में पारखं रे। ऋषभने जोई जोइ हरखे जेह त्रिभुवन लीला पामे तेह
साहिबानी सेवा रे - भव दुःख भांजशेरे ॥४॥ भवोभव मांगुरे, प्रभु तारी सेवनारे,
भावठ न भांगे रे - जगमां ते विना रे प्रभु मारा पूरो मनना क्रोड, अम कहे उदयरत्न कर जोड,
साहिबानी सेवा रे- भव दु:ख भांजशेरे।।५।।
olaTOS:
RKAदि
मूलनायक श्री आदीश्वरजी
१३. अंकलेश्वर
A
CARERAKES
B
etternitate on मूलनायक श्री शान्तिनाथजी
अंकलेश्वर जैन मंदिर
a