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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
पत्थरने पारस करनारा, प्यारा पारसनाथ, जंगल मां मंगल करनारा, प्यारा पारसनाथ भववनमा हुं रखड़ी रह्यो छु नर्क निगोदनां दुःखे दह्यो छु
दुःखीने अमृत सींचनारा, प्यारा. मोहनागथी मूर्छित थयो छु विवेक शुद्धि भूली गयो छु
अज्ञान तिमिर ने हरनारा, प्यारा. अनंत जीवन मारा धूल थयां छे, लाभे कर्मना पुंज रह्या छे
कर्म ईंधन ने बालनारा, प्यारा. जीवन नैया मारी डूबी रही है विराट सागर मा हेले चडी छे
हे भवसागर थी तारनारा, प्यारा. तारे चरणे हु जीवन धरूं छु समर्पण तनमन वचन करुं छु
सुकान सोप्यु जिन जयकारा, प्यारा. तार के डूबाड तारे आधीन छे तुझ पद अमृते मुज मन लीन छे,
जपे जिनेन्द्र हे प्रभु प्यारा,
मलनायक श्री अमीझरा पार्श्वनाथजी
प्यारा.
गंधार तीर्थ जैन मंदिर