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________________ (१९९ गुजरात विभाग : ९ - महेसाणा जिला 6 १९. वीसनगर तीर्थ 0 5. Soo Joo తారాం 000 0. 00000 वीसनगर जैन देरासरजी రాం मूलनायक श्री कल्याणी पार्श्वनाथजी రా मूलनायक श्री कल्याणजी पार्श्वनाथजी यह पुराना तीन मंझीला का देरासर है । ईस लिये बड़ा 'अष्टापदजी देरासर भी बहुत अच्छा है । शांतिनाथजी देरासर माना जाता है । यह जिनालय वीरनगर के पोरवाड प्रभूजी का जिनालय लाल दरवाजा के पास है । श्रावक शेठ गुलाबचंदने बनवाया है। सं. १८६३ फा. सुद अनंतनाथजी प्रभका जिनालय काजीवाडा में है। ३ के दिन प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी । उससे पहले यहाँ सुमतिनाथ और शांतिनाथ जिनालय (दिपडा दरवाजा) के पास पूराना देरासर था । उसकी प्रतिमा महेसाणा के पूराने है। आंबेलशाला, धर्मशाला, भोजनशाला और भी कुएं में से मिली थी । दूसरी मंझील पे सहस्रफणा पार्श्वनाथजी उपाश्रय है । यहाँ पर ४०,००० हजार की बस्ती है । जैनो के और तीसरी मंझील पे गोड़ी पार्श्वनाथजी का जिनालय है । ६०० घर है। सुहानी भमति भी है। Todbalaraasliterate toda y २०. ऊंजा मूलनायक श्री कुंथुनाथजी यह सुहामना बड़ा जिनालय है । ८०० साल पुरानी प्रतिमा इस जिनालय में है । यहाँ पे शिखरबंध तीन देरासर लोगो को धर्म का संदेश देता है । और तीन घर देरासरजी भी है। जैनों के ४०० घर है। गुजरात में व्यापार का यह प्रमुख नगर है।
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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