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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
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महावीर स्वामी जैन देरासरजी
देरासरजी की कलाकृति
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अतिशमन
३.
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मूलनायक श्री महावीर स्वामी
५२, जिनलाय से बना यह पुराना जिनमंदिर है । यह मंदिर का जिर्णोद्धार वि.सं. २०२८ में हुआ था । संप्रति महाराजा के समय का यह जिनालय है । आरस का कलात्मक बना हुआ सिंहासन अच्छा लगता है | उपाश्रय और भोजनालय भी है। ये ३०,००० की बस्ती से बना एक छोटा सा शहर है । जैनो के २५ घर है । पाठशाला, धर्मशाला और पांजरापोल है ।
१. मूलनायक श्री आदीश्वरजी (चौटावाला देरासर) २. महावीर स्वामी (हाथीवाला का देरासर)
ऋषभदेव स्वामी (भोजक का देरासर) ४. चोमुखजी देरासर ५. प्राचीन घर देरासर
यहाँ पे मूलचंददादा नामके भक्त हो गया । मूलचंद दादा को भगवान ने अंतिम समय पर दर्शन दिये । मूर्ति में से थोडा भाग भक्त के पास आया । गौरीकुंड (जैनों का सूरजकुंड है) वहाँ महावीर प्रभु की (कुंड के अन्दर) पथ्थर की मूर्ति है।
उत्तर गुजरात की पुनित भूमि में महेसाणा जीले में तारंगाजी तीर्थ के पास जैनो का वैभवपूर्ण प्राचीन और धार्मिक शहर वड़नगर है । जहाँ पूर्वे महातीर्थाधिराज शेजय महा गिरिराज की तलहटी थी । उस नगरी में दो जिनालय और दूसरा तीन जैन मंदिर आज भी मौजुद है । यह गाँव जैन भोजक से सुप्रसिद्ध है उन्होने यहाँ पर मंदिर भी बनवाया है । जैन संघ में प्रसिद्ध संगीतकार श्री हीरालाल ठाकुर
और श्री गजानन ठाकुर यह दोनों ही वड़नगर के है । वड़नगर - ३८४३५५.
राग (रंग लाग्यो मने प्रभु...या, मने व्हालुं बापुजी..) मने व्हालुं महावीर केरुं नाम छे रे;
अना हृदये अहिंसानुं धाम-मने ० तात सिद्धार्थ माता त्रिशला रे,
वळी जन्म क्षत्रियकुंड ग्राम. मने ०१ लीधुं संयम संसार छोडीने रे,
वळी ध्यान लगावे निष्काम, मने ०२ अणे केवलनाग लीधुं शाश्वतुं रे,
दे देशना करुं हुं प्रणाम. मने ०३ ते तो त्यागी अनेकने बनावता रे,
लेवा मुक्तिपुरी- मुकाम. मने गुरु कर्पूर अमृत गुणखाण छे रे,
भवभीतोर्नु शुभ विश्राम. मने ०५ प्रभु पंथे क्यारे अमे चाल| रे,
____ कहे जिनेन्द्र शुभ परिणाम. मने ०६
मेर