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गुजरात विभाग : ९ - महेसाणा जिला 藝勤參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參
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मूलनायक श्री अजितनाथ भगवान
चारो ओर पर्वतो के बीच और प्रकृति की गोदमें बना हुआ भव्य मनोहर जिनालय है. जिसमें पथ्थर की अद्भुत कलाकृतिवाला शिखरंबध मंदिर गुर्जर नरेश राजर्षि कुमारपाल द्वारा स्थापित कीया गया ऐसा वि.स. १३०२ का लेख है । उसका शीखर १४२ फूट उँचा है जीस से " उँची उँची तारंगाकी टोच रे" एसा स्तवन बना है।
पहाड पर तीन देरीयाँ है । १ घंटे मे वहाँ जा के वापस आ शकते है । एक ही पटांगण में दूसरा ४ देरासर है । देरासर में बहुत भव्य रंगमंडप और विशालकाय स्थंभ है, पटांगण में चोमुख, अष्टापद, नंदिश्वर दीप की कलात्मक देरीयाँ है, देरासरमें ७ फूट बडी पबासन के साथ प्रतिमाजी है, मंदिर के तीन प्रवेशद्वार है । १४७९ और १६४२ में इसका जिर्णोद्धार हुआ है । मूलनायक की प्रतिमाजी में दरारे पड गई है।
जब आग लगती है तब पानी झरता है एसी लकडीयोसे बना हुआ है।
विशाल भोजनालय, धर्मशाला, और उपाश्रय है। उपर के मार्ग से उ. गु. के हर एक स्थान से बस मीलती है । तारंगा हील स्टेशन ६ कि.मी. की दूरी पर है।
तारंगा तीर्थ जैन देरासरजी की नक्कासी
१८. वडनगर तीर्थ
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मूलनायक श्री महावीर स्वामी
मूलनायक श्री अदबदजी श्री आदीश्वरजी
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