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________________ (१९७ गुजरात विभाग : ९ - महेसाणा जिला 藝勤參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參參 SEARCH 22022SS मूलनायक श्री अजितनाथ भगवान चारो ओर पर्वतो के बीच और प्रकृति की गोदमें बना हुआ भव्य मनोहर जिनालय है. जिसमें पथ्थर की अद्भुत कलाकृतिवाला शिखरंबध मंदिर गुर्जर नरेश राजर्षि कुमारपाल द्वारा स्थापित कीया गया ऐसा वि.स. १३०२ का लेख है । उसका शीखर १४२ फूट उँचा है जीस से " उँची उँची तारंगाकी टोच रे" एसा स्तवन बना है। पहाड पर तीन देरीयाँ है । १ घंटे मे वहाँ जा के वापस आ शकते है । एक ही पटांगण में दूसरा ४ देरासर है । देरासर में बहुत भव्य रंगमंडप और विशालकाय स्थंभ है, पटांगण में चोमुख, अष्टापद, नंदिश्वर दीप की कलात्मक देरीयाँ है, देरासरमें ७ फूट बडी पबासन के साथ प्रतिमाजी है, मंदिर के तीन प्रवेशद्वार है । १४७९ और १६४२ में इसका जिर्णोद्धार हुआ है । मूलनायक की प्रतिमाजी में दरारे पड गई है। जब आग लगती है तब पानी झरता है एसी लकडीयोसे बना हुआ है। विशाल भोजनालय, धर्मशाला, और उपाश्रय है। उपर के मार्ग से उ. गु. के हर एक स्थान से बस मीलती है । तारंगा हील स्टेशन ६ कि.मी. की दूरी पर है। तारंगा तीर्थ जैन देरासरजी की नक्कासी १८. वडनगर तीर्थ 參參參參參參參參參參參參參參參參參參參密斯 मूलनायक श्री महावीर स्वामी मूलनायक श्री अदबदजी श्री आदीश्वरजी 參參參參參參參參警鈴警鉴斷路斷斷斷勞警警參參參參勤勤
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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