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________________ गुजरात विभाग : ९ - महेसाणा जिला । (१८९ प्र -पथ मूलनायक - श्री शीतलनाथजी ___ऊपर के भाग में श्री अजितनाथ भगवान है। ४०० वर्षों का प्राचीन मन्दिर है । संप्रति राजा के समय की प्राचीन प्रतिमा है। ६० वर्ष पूर्व जीर्णोद्धार करके कांच का काम किया गया है। यह मन्दिर मूलजूटवा प्रगट पार्श्वनाथजी का प्राचीन मंदिर था। पू. आ. श्री भद्रंकरसूरिजी म. की जन्मभूमि है। मोती विजय पाठशाला, उपाश्रय, पांजरापोल, आदि है। जैन घर १२५ थे। वर्तमान में दो घर हैं। यहाँ आने के लिए मेहसाना से बस-जीपें मिलती हैं। {{{{{{{{{{{{{{{{{{{ ११. चाणस्मा L चाणरमा जैन मन्दिर मूलनायक श्री भटेवा पार्श्वनाथजी मूलनायक - श्री भटेवा पार्श्वनाथजी कत्थई रंग-पद्मासनस्थ यह प्रतिमाजी रेती, छाण, मिट्टी से बनायी गयी है। परिकर युक्त प्रतिमाजी भटुआर गाँव के सूरचन्द्र श्रावक को मिली थी। १३३५ तथा १५३५ में अन्तिम वि. सं. १८३२ को प्रतिष्ठित हुए है। ऐतिहासिक जानकारी सचित्र मन्दिर की भमती परिक्रमा में है। इसके उपरान्त २४ प्रतिमाजी भमती में हैं। सुन्दर रंगमंडप है। सात शिखरों से संयुक्त मन्दिर है। ६ लाख प्राचीन प्रतिमा कही जाती है। भोजनशाला, भाताखाता है। पूर्व में ५०० जैनियों के घर थे । वर्तमान में ६० घर हैं। मेहसाना हारीज रोड पर है। स्टेशन से १ कि.मी. है। स्टेशन के ऊपर धर्मशाला है। मेहसाना से बस जीपें मिलती हैं। JODSSSSSSSSS
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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