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________________ गुजरात विभाग : ७ - कच्छ जिला (१५१ १७. लाकडीया मूलनायक श्री शान्तिनाथजी लाकडीया जैन मंदिरजी मूलनायक - श्री शान्तिनाथजी संवत १८६४ में इस मंदिर की प्रतिष्ठा वैसाख सुदी १० को यति श्री की निश्रा में हुई । प्राचीन शिलालेख नहीं है। संवत २००६ में बिजली गिरने से यहाँ के शान्तिनाथजी के मंदिर में नुकसान हो गया, उसका जीर्णोद्धार पू. आ. श्री कनक सूरिजी म. की निश्रा में २००७ में वैशाख सु. ५ शुक्रवार को यहाँ के संघ की तरफ से हुआ। पू. आ. श्री विजय कनक सूरीश्वरजी म. के पट्टधर पू. आ. श्री देवेन्द्र सूरिजी म. का जन्मस्थल लाकडीया (वागड) है। तत्वज्ञविजयजी पू. कनकसूरिजी म. के शिष्य थे उनका भी लाकडीया जन्म हुआ और वे विद्वान थे। दोनों की दीक्षा भी यहाँ पर ही हुई। श्वे. मू. पू. जैन विशा ओसवाल और विशा श्रीमाली के २०० घर हैं। जैन उपाश्रय है, आयंबिल भवन है। नबूधाय उशुक्राय 13सूर्याय प्रमाणपत्र 3 केतवे सहव नमः GIR 來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來源
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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