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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
AKAL
१६. कटारीया तीर्थ
श्री कटारिया तीर्थ जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
११.३१४१५
मूलनायक - श्री महावीर स्वामी
१५० वर्ष पूजे गए। परन्तु नवीन जीर्णोद्धार के समय १९७८ में यहाँ कटारिया मंडन श्री महावीर स्वामी शिखरबंद मंदिर है। तीन आरस की
___ कटारिया गाँव में पुनः प्रतिष्ठित किये। प्रतिमायें हैं। इस मंदिर का जीर्णोद्धार श्री विजयानंद सूरि के प्रशिष्य कनक नीचे भोयरे में मूलनायक नेमिनाथ भगवान है। नीचे भोयरे में तीन विजयजी म. सा. की निश्रा में एवं उपदेश से यहाँ के श्वेताम्बर जैन संघ मे वि. प्रतिमायें आरस की हैं और इसके उपरान्त दो कायोत्सर्ग की आरस की हैं। सं. १९७८ के वैशाख सुदी ३ रविवार को कराया है। शासन देव एवं देवी की यहाँ की बोर्डिंग प्रसिद्ध है। उसमें जैन शिक्षण उत्तम प्रकार से दिया जाता प्रतिष्ठा पू. आ. श्री कनकसूरिजी म. की निश्रा में संवत १९९३ में हुई है। है। इस बोर्डिंग में पढ़े हुए करीब दस साधु महाराज हैं। यहाँ पर श्वे. मू. जैनों इस मंदिर में भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा के ऊपर सं. १६५३ का लेख के तीन घर हैं । जैन उपाश्रय है। एक धर्मशाला, एक भोजनशाला, है। मंदिर ५०० वर्ष प्राचीन है।
आयंबिल खाता है। भचाऊ एवं लाकडीया के मध्य में यह तीर्थ आता है। अलाउद्दीन खिलजी यहाँ आया और उसके आक्रमण से बचने के लिए इन भगवान को पास के आनन्दपुर (वांढीया) गांव में ले गये वहां पर प्रायः
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