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गुजरात विभाग :७- कच्छ जिला
भुज जैन मंदिर
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मूलनायक श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथजी
१३. वांकी तीर्थ
मूलनायक श्री वर्धमान स्वामी (श्री महावीर स्वामी) ग्राम में प्राचीन श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रभु का मंदिर है। वि.सं. | २०३२ के माघ वदी ६शुक्रवार को खनन विधि वि.सं.२०३२ के फागुण सुदी ७ सोमवार को शिला स्थापना हुई। वि.सं. २०४५ वैसाख वदी ६ ता.. २६-५-८९ के शुभ दिवस पू.आ. श्री कलापूर्ण सूरिश्वरजी म.सा. की। पावन निश्रा में अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव उजवाया। उस समय से भक्त । भावुकों की वणझार वांकी तीर्थ के आंगण में हमेशा चलती रहती हैं।
५१" ईंच के अत्यन्त मनोहर एवं नयनाभिराम श्री वर्धमान स्वामी जी मूलनायक रुप में प्रतिष्ठित है। नदी किनारे बहुत ही रमणीय वातावरण है।
तीन जिन मंदिर, तीन भव्य शिखरों से सुशोभित हैं। तीन-तीन विशाल एवं भव्य रंग मंडप हैं। जिनालय में प्रवेश करते ही प्रथम नृत्य मंडप आता है। उसके बाद नवपद मंडप और उसके बाद भव्य मेघनाद मंडप आता है। एवं विशाल भमती, आकर्षक ५२ पट्ट कुलिकाओं का कार्य चल रहा हैं। जो भारतवर्ष भर में अद्वितीय बनेगा। २५१ ईंच १५१ ईंच की लम्बाई चौड़ाई का जिन मंदिर है। तीर्थ के विशाल प्रांगण में दो अतिथि गृह, धर्मशाला, भोजनशाला की सुन्दर व्यवस्था है। उपाश्रय, आराधना हाल वि.बहुत ही सुन्दर व्यवस्था है।
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मूलनायक श्री महावीर स्वामी