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गुजरात विभाग : ५ - जामनगर जिला
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विशेष - इस मंदिर के पिछले भाग में श्री मोहनलालजी महाराज के देरी के चरण चिन्ह हैं । जो पूर्व में खरतर गच्छीय थे उसके बाद तपागच्छीय बन गये। बम्बई का प्रथम शासनोद्धार वि. सं. १९३०-३५ इस प्रकार लेख है।
प्रभुजी के अनेक स्तवन खरतर गच्छीय पट्टावली एवं १६८९ में मुनि श्री गुण विजयजी रचित १०८ पार्श्वनाथ स्तवन में हैं।
भाणवड रेल्वे स्टेशन से २ कि.मी.। बस के रास्ते पोरबंदर जामनगर से जुडा हुआ है।
१६. जाम खंभालीया
जाम खंभालीया जैन मंदिर
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी (श्याम वर्ण)
त्रिशिखरी मंदिर प्रतिष्ठा वि. सं. १८५१ आसोज सुदी - १०
४५० वर्ष पुराना मंदिर है। सिर्फ जीर्णोद्धार की जानकारी प्राप्त हुई हैं। जो नीचे लिखे अनुसार है।
वि. सं. १९५४ में पू. बुद्धि विजयजी गणि के शिष्य पं. श्री आनंद वि, म. के उपदेश से (१) वि. सं. १९५१ (२) वि. सं. २०२३ वै.व. १(३) वि. सं. २०२५ वै. सु. १२
नवीन जिनबिम्बों के साथ दोनों तरफ मंदिर का विस्तार किया हैं। सेठ जेठालाल लक्ष्मीचंद ने परिश्रम करके अन्तिम दो जीर्णोद्धार करवाये हैं। पू. आ. श्री. जिनेन्द्र सूरि जी महा. की निश्रा में प्रतिष्ठा कराई है। जिन मंदिर में प्रवेश करते ओसरी के दोनों साइड के गोखलों में एक तरफ पू. आ. श्री वि. कर्पूर सूरिजी म. की दूसरी तरफ पू. आ. श्री वि. अमृतसूरिजी म. सा. की तिमा जी विराजमान हैं।
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
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