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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
-४५० वर्ष पूर्व दूसरी जगह जिन मंदिर तैयार हुआ था। वहाँ पर महादेव का वरघोड़ा-रथ निकला रथ रूक गया प्रतिमाजी चली नहीं। उन्होंने जैन संघ को यहाँ का मंदिर प्रदान कर वह मंदिर लिया और वहाँ पर उन्होंने प्रतिमाजी स्थापित की। और उनके इस मंदिर में श्री पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा हुई वैसा इतिहास है।
जामरावल की जामनगर बसने के पूर्व यह राजधानी थी। जामनगर ओखा रेल्वे हाईवे ऊपर जामनगर से ५७ कि.मी. है। द्वारका के पास आरभंडा गांव में मंदिर है।
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श्री
स्टेशन रोड जैन मंदिर मूलनायक श्री आदीश्वरजी
स्टेशन रोड जैन मंदिर पू. आ. कुन्दकुन्द सू. म. स्मारक स्थल
जामखंभालियास्टेशन
मूलनायक जी ऋषभदेवजी श्री मद् विजय कुन्द कुन्द सूरिजी की स्मृति मंदिर और नूतन मंदिर बना हैं। मूलनायक ऋषभदेव विराजमान हैं। प्रतिष्ठा पू. पं. श्री पुंडरीक विजयजी म. की निश्रा में २०४७ माघसुद ११ शनिवार को हुई है।
हालार रत्न पू. आ. श्री विजय कुन्द कुन्द सूरिजी म. की यह स्वर्ग भूमि है। गुरु मूर्ति की प्रतिष्ठा की है। स्टेशन पास में है। बगल में हा.वी.ओ. महाजनवाड़ी है।
सकलाऽर्हत् प्रतिष्ठान मधिष्ठानं शिवश्रियः भुर्भुवः स्व स्त्रयीशान-मार्हन्त्यं प्रणिदध्महे। नामाऽकृति द्रव्य भावैः पुनतस्त्रि जगज्जनम् । क्षेत्रे काले च सर्वस्मिन्नर्हतः समुपास्महे आदिमं पृथिवीनाथ मादिमं निष्परिग्रहम् आदिमं तीर्थनाथं च, ऋषभ स्वामिनं स्तुमः