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________________ श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ - - सेठ रायशी वर्धमान पेढ़ी जामनगर इस मंदिर की व्यवस्था करती है। जामनगर भाणवड रोड पर तालुका का गाँव है। ४० कि.मी. है। ९२) - - - मूलनायक जी श्री धर्मनाथ भगवान प्रतिष्ठा - वि. सं. १९६० मार्गशीर्ष सुदी-६ विशेष - जामनगर के ओसवाल झवेरी मूलचंद हेमराज की विधवा एवं लालपुर के रहीश (१) शाह कचरा हेमशी की सुपुत्री मोंघीबेन ने यह शिखरबन्द मंदिर बनवाया है। (२) जिनबिंबऊना से लाये हैं। जो संप्रति राजा के समय के हैं। उनका बिंब प्रवेश वि. सं. १९५८ मा. सु. १० (३) निश्रामुनि श्री चारित्र विजयजी म. सा. मोंधीबेन के वरद हस्त से प्रतिष्ठा हुई। sussusus Q0QtQ १५. जाम भाणवड nત્રીપાર્શ્વનાથજી जाम भाणवड धर्मनाथजी जैन मंदिर मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी (१) मूलनायक जी श्री शान्तिनाथजी संप्रति राजा के समय की प्राचीन प्रतिमाजी है। प्रतिष्ठा की साल लेख में नहीं है। जीर्णोद्धार वि. सं. २००६ तथा २०४८ का लेख हैं। २००६ हालार देशोद्धारक पू. आ. श्री विजय अमृत सूरिजी म. की निश्रा में शिखर में प्रतिष्ठा करायी है। यहाँ के प्रभु पार्श्वनाथ अत्यन्त प्रभावशील है। चांपसी सेठ ने यह प्रासाद निर्माण कराया। पू. आ. जिनराजसूरि के द्वारा सं. १६६२ फा.सु.२ के दिन अमीझरा पार्श्वनाथ प्रभु शाह धारसी राजसी द्वारा प्रस्थापित की गयी उस समय ८० जिनबिम्बों की प्रतिष्ठा हुई थी। . इस तीर्थ के प्रतिष्ठापक श्री जिनराज सूरिरचित श्री अमीझरा पार्श्वनाथ स्तवन में गुणगान हैं कि, 'परखि पास अमीझरई भेरीओजी, भवियण भावेरे, रात दिवस अमृत झरे तिण साचो नाम कहावे रे,'. सं. १९५१ में शा. रवजी कचरा तथा आणन्दजी नथुभाई ने जीर्णोद्धार कराया। (२) मूलनायकजी- श्री पार्श्वनाथजी इतिहास - जाम भाणवड प्राचीन ग्रन्थों में भानुवड गाँव वैभव पूर्ण 100 नगरी थी। 200-20200
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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