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गुजरात विभाग : ५ - जामनगर जिला
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मेरो प्रभु शान्तिनाथ सुखकार, अशरण शरण ये जगत तारण,
भविजन परम आधार, मेरो. करुणारस सरस सुपरिमल,
अमल कमल गुणाधार, मेरो. जन मन रंजन अंजन निर्मल
केवल दृष्टि दातार, मेरो. मरण निवारण अमृत रसायण
सेवा सिद्धि दातार, मेरो. सेवत जिनेन्द्र प्रभु पद लीनो
तारो आ संसार, मेरो.
रायशी शाह देरासरजी मूलनायक श्री शान्तिनाथजी
(3) चोरी वाला मंदिर
मंदिर में तोड़ा-फोड़ी हुई। तेजशीशाहकच्छ जाता रहा बाद में दूसरे वर्ष आव। श्री रायशी शाह का मंदिर
सोरठ देश से नवीन प्रतिमा शान्तिनाथजी की लाकर प्रतिष्ठा करायी।
तेजशी शाह के पुत्र रायशी तथा नेणशी ने अपने पिता द्वारा बनवाये इस यह मंदिर भी चांदी बाजार के चौक में है। उसको रायशी तथा तेजशी
शा प्रासाद का जीर्णोद्धार कराकर चारों और बावन देरियाँ बनवाकर शिखर उपर शाह ने बनवाया है। इस कारण ही रायशी शाह का मंदिर कहलाता है। उपरा उपर तीन चौमख मंदिर बनवाये। उनके बेवाई चापशी शाह ने भी उसमें जिसमें चोरी बनवायी गयी होने से चोरी वाला मंदिर भी कहलाता है। बावन लाभ लिया। प्रतिष्ठा १६७५ में अचलगच्छ नायक श्री कल्याण सागर जिनालय ऊपर तीन माला तक जैन मंदिर है।
सूरीश्वर जी म. के हस्ते करायी। पार्श्वनाथजीकी अद्भुतभव्य प्रतिमाहैं। मूल मंदिर तेजशीशाहने १६२४
हना १५२४ नेणशी शाह ने अपने पुत्र रायशी सोमशी तथा करमशी के साथ मिलकर
गतीमानले में बनवाया और प्रतिष्ठा पू. आ. धर्ममूर्ति सूरीश्वर म. के पास कराया था, संभवनाथजी का चौमुखी शिखरबंद देरासर बनवाया। प्रतिष्ठा १६७६ और १६४८ में बादशाह अकबर के सूबा खान आजमें मुजफर की तरफ से सेना लाकर चढ़ाई कर हालार देश छिन्न-भिन्न किया। प्रतिमायें उसने खंडित की।