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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-9
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कारियाणी मंडन शान्ति प्रभु जी
वदन कोटिवार प्रभूजी वदन काटिया श्री अचिरा मातानो जायो, विश्वसेन उत्तम कुल आया।
धन धन तुम अवतार, प्रभुजा, ।।१।। छप्पन दिक्कुमारी हुलरायो, चौसठ इन्द्रो ने नवरायो
जन जीवन आधार,प्रभजी. ||२|| चक्री तीर्थंकर पद भोगी. राजऋद्धि त्यागी थया योगी
वरवा वर शिवनार, प्रभुजी, ।।३।। तुम साथे हंप्रभुजी मलीयो, कल्पतरु मुझ आंगणे फलीयो
न रहे दुःख लगार, प्रभुजी ।।४।। तुम नामे भय सघलां भागे, अन्तर आतम नी ज्योत जागे
वर्ते आनंद अपार, प्रभुजी. ।।५।।
श्री वर्धमान शाह देशसरजी मूलनायक श्री शान्तिनाथजी
(१) श्री शान्तिनाथ जी मंदिर
श्री वर्धमान शाह का मंदिर यह मंदिर सेठ श्री वर्धमान शाह पद्मशी शाह ने बनवाया वि. सं. १६७६ वै. सु. ३ बुधवार को प्रतिष्ठा करावायी है। चाँदी बाजार चौक में है। बावन जिनालयों की प्रतिष्ठा १६७८ वै. सु. ५ को अचलगच्छ के पू. आ. श्री कल्याणसागर सूरीश्वरजी म. की निश्रा में करायी हैं। मुसलमानों के आक्रमण से थोड़े समय तक मूर्तियां अपूज्य रही और फिर प्रतिष्ठा खरतरगच्छ के श्री देवचन्द्र मुनि के हाथों से सं. १७८८ श्रावण सुदी ७ को प्रतिष्ठा करायी हैं। इस मंदिर का बावन जिनालय विशाल आन्तर चौमुख जिनालयों से भव्य हैं।