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________________ गुजरात विभाग: ५ जामनगर जिला IAS ANNA R सेठजी का मंदिर मूलनायक श्री शादीश्वरजी दादा आदीश्वर दूर थी आव्यो, दादा दरिसन दीयो, कोई आवे हाथी घोड़े, कोई आवे पाय । कोई आवे चंड़े पयाणे, दादाने दरबार हाँ हाँ दादाने दरबार, दादा आदीश्वरजी शेठ आवे हाथी घोड़े, हैं आ पाय, राजा आवे चड़े पलाणे, दादा ने दरबार कोई मुके सोना रूपा, कोई मुके म्होर, कोई मूके चपटी चोखा, दादाने दरबार. शेठ मूके सोना रूपा, राजा मूके म्होर हूँ मुकूं चपटी चोखा, दादा ने दरबार. कोई मांगे कंचन काया, कोई मांगे आंख, कोई मांगे चरणनी सेवा, दादा ने दरबार. पांगलो मांगे कंचन काया, आंवलो मांगे आंख, हूँ मांगूं चरणनी सेवा, दादाने दरबारे हीर विजय गुरु हीरलो ने वीर विजय गुण गाय, शत्रुंजयना दर्शन करता आनंद अपार, हाँ हाँ आनंद अपार दादा. २ दादा. ३ दादा. ४ दादा. ५ दादा, ६ दादा. ७ श्री आदीश्वर (शेठजी) का मंदिर यह आदीश्वरजी का मंदिर, देरासर चौक में पोस्ट आफिस के सामने है। वह शेठजी के मंदिर के रूप में जाना जाता है। १६३३ में खात एवं वि. सं. १६५१ में पू. आ. श्री विजय देव सूरीश्वरजी म. की निश्रा में इस देरासर की प्रतिष्ठा हुई है। भव्य डबल रंगमंडप वाला मंदिर है। दूसरे रंगमंडप के मंदिर में महावीर स्वामी का मंदिर है जो सेठ श्री फूलचंद परशोत्तम तंबोली ने निर्माण कराकर २००४ में पू. आ. श्री विजय रामचन्द्र सूरीश्वर महा. की निश्रा में प्रतिष्ठा कराई है। श्री चन्द्रप्रभ स्वामी का मंदिर ऊपर हैं जो १८७० में बनवाया है। पास में नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, धर्मनाथ मंदिर है। | इस मंदिर के बगल में वीशा श्रीमाली तपागच्छ ज्ञाति (जैन पाठशाला) उपाश्रय हैं। SS BALAM PU BO Q 美又 Dipocana s Binoa 2 (193
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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