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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
K इस मंदिर में प्रवेश करते ही महावीर स्वामी के आगे भाभा पार्श्वनाथ चाँदी बाजार की गली में जैन धर्मशाला है।
स्वामी की भव्य प्रतिमा है। पीछे चौमुखजी तथा चोरी, सहस्र फणा देवबाग में रलियात बाई आयंबिल खाता तथा पोपटलाल धारशीभाई पार्श्वनाथ और पीछे बावन जिनालय है। पास में हरजी जैन शाला है। वहाँ जैन भोजनशाला, लक्ष्मी आश्रम, उपाश्रय, भव्य ज्ञान भंडार है। पहले चार्तुमास होते थे।
दुसरी तरफ मोतीचंद हेमराज जैन धर्मशाला है। जो फुलीबाई का डेला के - इस मंदिर के पीछे चौथा श्रीवासुपूज्य स्वामी का देरासर है। प्रतिष्ठा १६९० नाम से जानी जाती हैं ।पास में ही सेठ शान्तिदास खेतशी जवेरी द्वारा बनाया में हुई है। कच्छ के आस्करण शाह ने इस मंदिर का निर्माण कराकर पीछे दीक्षा गया शान्ति भवन जैन उपाश्रय में जैन मन्दिर है । जहाँ पर श्री आदीश्वर
ले ली थी ऐसा कहा जाता हैं। यह स्थान लालबाग कहलाता है। प्रभुजी की अजनशलाका प्रतिष्ठा सं. २००२ मार्गशीर्ष सुदी ४ को पू. आ. CAN जाम रणजीतसिंह ने मंदिर के आसपास जगह का अभाव और गंदगी श्री विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में हुई है। यहाँ पर उत्तम हि देखकर चारों और बडा रास्ता बनवाकर मंदिर को अलग किया। इस कारण ज्ञान भंडार है और संस्कृत पाठशाला चलती है।
अब भव्य तीर्थ के ट्रॅक की तरह वह सुशोभित है।
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नमा मरिहता
नमा मायरिया नमा उबज्डझायाण नमोलोए सबसाहूणे एसो पंच-नमुक्कागे सव्व-पावप्पशासपणे मंगलाच सव्वेसि पठमं हबई मंगलम
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चोरीवालादेरासरजी श्रीभाभापार्श्वनाथजी