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असुभकम्मट्ठाननिद्देसो
(छट्ठो परिच्छेदो)
उद्धमातकादिपदस्थानि १. कसिणानन्तरं उद्दिढेसु पन उद्धमातकं, विनीलकं, विपुब्बकं, विच्छिद्दकं, विक्खायितकं, विक्खित्तकं, हतविक्खित्तकं, लोहितकं, पुळवकं, अदिकं ति दसस अविज्ञाणकासुभेसु भस्ता विय वायुना उद्धं जीवितपरियादाना यथानुक्कम समुग्गतेन सूनभावेन उद्धमातत्ता उद्धमातं, उद्धमातमेव उद्धमातकं। पटिक्कूलत्ता वा कुच्छिं उद्भुमातं ति उद्धमातमेव उद्धमातकं । तथारूपस्स छवरीरस्सेतं अधिवचनं।
२. विनीलं वुच्चति विपरिभिन्ननीलवण्णं, विनीलमेव विनीलकं । पटिलत्ता कुच्छितं विनीलं ति विनीलकं । मंसुस्सट्ठानेसु रत्तवण्णस्स, पुब्बसन्निच्चयट्ठानेसु सेतवण्णस्स, येभुय्येन नीलवण्णस्स, नीलट्ठाने नीलसाटकपारुतस्सेव छवसरीरस्सेतं अधिवचनं ।
३. परिभिन्नट्ठानेसु विस्सन्दमानं पुब्बं विपुब्बं, विपुब्बमेव विपुब्बकं । पटिकूलत्ता वा कुच्छितं विपुब्बं ति विपुब्बकं । तथारूपस्स छवसरीरस्सेतं अधिवचनं ।
४. विच्छिदं वुच्चति द्विधा छिन्दनेन अपवारितं, विच्छिद्दमेव विच्छिद्दकं । पटिलत्ता वा कुच्छितं विच्छिदं ति विच्छिद्दकं । वेमज्झे छिन्नस्स छवसरीरस्सेतं अधिवचनं।।
अशुभकर्मस्थाननिर्देश
(षठ परिच्छेद) उद्भुमातक आदि पदों के अर्थ
१. कसिण के पश्चात् निर्दिष्ट दश अचेतन अशुभों-१. उद्धमातक (=ऊर्ध्वमात्रक), २. विनीलक, ३. विपुब्बक, (विपूयक) ४. विच्छिद्दक (=विच्छिद्रक), ५. विक्खायितक, ६. विक्खित्तक (=विक्षिप्तक),७. हतविक्खित्तक (हतविक्षिप्तक), ८.लोहितक, ९. पुलुवक, १०. अट्ठिक (=अस्थिक) में
जैसे भाती (चमड़े की थैली) हवा से ऊपर की ओर फूलती है वैसे ही मृत्यु के बाद शरीर का क्रमशः फूलने, सड़ने से ऊपर की ओर उठना 'उद्धमात' है। यह उद्धमात ही 'उद्धमातक है। वैसे शव का यह अधिवचन (पर्याय) है। (१)
२. जो जगह-जगह पर नीला पड़ गया हो, उसे विनील कहते हैं। विनील ही 'विनीलक' है। मांस की अधिकता वाले भागों में लाल वर्ण, जहाँ दुर्गन्धमय रक्त (पीब) इकट्ठा हो गया हो उन भागों में श्वेतवर्ण, किन्तु अधिकांशतः नील वर्ण सदृश शव का, जिसके नीले भाग ऐसे लगते हों मानों नीला कपड़ा लपेट दिया हो, यह अधिवचन है। (२)
३. जिसमें जगह-जगह से पीब निकलती हो, वह "विपुब्ब' है। 'विपुब्ब' ही 'विपुब्बक' कहलाता है। अथवा, प्रतिकूल होने से कुत्सित विपुब्ब 'विपुब्बक' है। वैसे शरीर का यह अधिवचन है।३)
४. दो टुकड़ों में काट दिये जाने से विवृत (=खुला हुआ, जिसका भीतरी भाग, अंतड़ियाँ आदि दिखायी देते) हों, उसे 'विच्छिद्द' कहते हैं। विच्छिद्द ही विच्छिद्दक है। अथवा, प्रतिकूल होने से कत्सित विच्छिद्द 'विच्छिद्दक' है। बीच में से काटे गये शव का यह अधिवचन है। (४)