________________
सम्मति पत्र
सुप्रसिद्ध श्रीमान् पं० हंसराज जी शास्त्री
प्रस्तुत ग्रन्थ तत्त्वार्थसूत्र जैनागमसमन्वय स्वनामधन्य उपाध्याय मुनि श्री श्रात्मारामजी की प्रोज्ज्वल प्रतिभा तथा उनके दीर्घकालीन सतत जैनागमाभ्यास का सुचारु फल है । आप श्वेताम्बर जैनधर्म की स्थानकवासी सम्प्रदाय में एक द्वितीय विद्वान् है । यद्यपि आज तक आपने जैनधर्म से संबन्ध रखने वाली कई एक मौलिक पुस्तकें लिखीं तथा कई एक जैन आगमों का सुबोध हिन्दी भाषा में अनुवाद भी किया तथापि प्रस्तुत ग्रंथ के संकलन द्वारा श्रापने साहित्य - प्रेमी जैन तथा जैनेतर सभ्य संसार की जो अमूल्य सेवा की है उसके लिये आपको जितना भी धन्यवाद दिया जाय उतना ही कम है ।
आपका यह संग्रह तत्वज्ञान के जिज्ञासुत्रों की अभिलाषा