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बृहद् ग्रन्थ की अपेक्षा, उपाध्याय जी महाराज ने हमारी प्रार्थना पर इतनी और विशेषता कर दी है कि पहले संस्करण में, जहां श्रागमों के कहीं उपयोगी मात्र आंशिक पाठ उद्धत किये थे, अब वहां इस गुटके में उनका सम्पूर्ण पाठ दे दिया है तथा कई एक आवश्यक पाठ अधिक बढ़ा दिये हैं, ताकि स्वाध्याय प्रेमियों को श्रागम-पाठों के अधिक परामर्श का पुण्य अवसर प्राप्त हो सके । इसलिये सर्वज्ञ वीतराग प्रणीत धर्म में अभिरुचि रखने वाले प्रत्येक महानुभाव को, यह लघु पुस्तकरत्न, प्रतिदिन के स्वाध्याय के लिये, अवश्य अपने पास रखना चाहिये।
गुजरमल प्यारेलाल जैन
चौड़ा बाजार,
लुधियाना।