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________________ ---सी एलिओ ति की जिससो मातहेतुं पा जाव परिवार हेसुवा, अण्ण वा किंचि णिएल्लग---- णिस्सा ए ति वितिजा, सी य असमत्थी गौहतु (गोपिठतुंग आह हि---- ........... - बिलाम विवाह चाललीट ग्रहकर्मा। नशक्यमसहायेम, निस्सर्तुमधने न पा / 6 // "---------- महलामो हि साहवासो, सो पुण बासी एसी एकगामिला मी व किं करें लि?, अटुवा अणुगामिनी अदुवा उत्तरए जात सौदागर ति," सूचनात् सूाम्" इति कृत्वा एवं एताणि संवेवेण सुत्ताई वुत्ताई ।एतसिं इदाणि मुत्तेण चैव वित्ती भण्णाति,जहाद -वेतालिए चत्तारिविणयसमाधिटाणा उच्चारनु पच्छा एकस्य विभासा, जघा वा “उविस्तणात संघाडे "- ]ति उ----- च्चारेऊण पदापिच्छा एकमेझस्स अज्झयण वुच्चति,दिडिवाते सुत्तानि भाणिऊण पच्छा सखी चेव विहिवाती तमि------ सुतपदा सुतेणचेव वृत्तिर्भवति | अधा-एगदिए भाणुगाप्तिय भावं पडिसेंधाय- अनुगच्छतीत्यानुगामिकासी पडिचरितु अस्सिएतस्य किति ..............----
SR No.002426
Book TitleSutrakritanga Churni
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages284
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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