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________________ me जं किंचि सुहमुदारं जं जिणवरेहिं भणियं जं किंचि सुहमुदारं (आरा.२)५१५ जंघाविज्जाचारण-लद्धी- (न.मा.) १२।९ जं जं पच्चक्खाणं देसे (सं.प्र.) १००७ जं कि पि मए तइआ, (च.क्ष.) ७ जंघा-विज्जाचारण-विण्हु- (श्रुता.) १३८ जं जं पावयवुड्डिकरु, जं (ज्ञा.कु.)६ जं कि पि मए तइया, . (खा.कु.)६ जं च इयमातधम्मो परि- (ध.सं.) १३३० जं जंपियं मुसं मे (अ.कु.) ७ जं किं पि सुहं लोए, (हि.उ.) ६० जंच इयरेयरासयदूसण- (उ.पं.) ४० जं जं पेच्छसि एयं (आरा.३)२०९ जं किञ्चि मुसं भणियं (नं.अं.) ६ जंच इयरेयरासयदूसणमेवं (पंचा.) ९७९ जं जं बहलसहावं पवयण- (प्र.प.) ४४४ जं किर उदयावलिए पवेसणं (श.भा.) १५३ जं च कसायकलुसिया ___(आरा.२)४६ जं जं भणामि अहयं (उ.कु.२)२३ जं किर तित्थगराणं (वि.ण.) ४१ जंच कामसुहं लो, (बृ.सं.) १६९ जं जं भणियं समए तं (सं.प्र.) १०१० जं किरिआण विहाणं (ई.प.) ३३ जं च चउद्धा भणिओ (पंचा.) २८१ जं जं मणेण बद्धं (वि.सा.)८६० जं कुकम्मे पावं तं (र.सं.) ४५० जं च चउद्धा भणिओ (पंच.) १२१९ जं जं मणेण बद्धं (क्षप.) ३ जंकुच्छियाणुजोगो (ध.सं.) ११६९ जं च चउद्धा भणिओ (स्त.) ११० जं जं वच्चइ जाई अप्पिय- (सं.प्र.) ११३९ जं कुणइ पीइरसो वड्डइ (सं.प्र.) २३३ जंच जईण जहुत्तर, (न.प.) ८६ जं जं विगइगयं खलु (प्र.प.) ४६७ जं कुणइ भावसल्लं (आरा.१)२१६ जं च जई वि फुसंतो (मु.कु.) ४ जं जं समयं जीवो, आविसइ (उव.) २४ जं कुणइ भावसल्लं (आरा.२)२९६ जं च जियलक्खणं तं (अ.प.) १५२ जं जं सावज्जं तं जइ (प्र.प.) २०९ जं कुणइ भावसल्लं (आरा.४)६ जं च ण सुत्ते विहिअं (य.स.) ८५ जं जक्खाइसहायाभावो (प्र.प.) ६५२ जं कुणइ भावसल्लं अणुद्धियं (पंचा.) ७३२ जं च तिहा उवसमिश्र, जं जत्थ जया जेसिं जईण (द्वा.कु.) ६६ जं कुणइ भावसलं अणुद्धियं (सं.प्र.) १५०० जं च न सुत्ते विहियं (ध.र.) ९९ जं जत्थ तवच्चरणं अंगो- (आरा.३) १३ जं कुणइ भावसल्लं अणुद्धियं (वि.वि) २८० जं च परिणामविरसं (आरा.२)१६ जं जम्मकोडिघडिएण, (हि.उ.) २०२ जं कुणओ पीइरसो, (चे.म.) ८८८ जं च पुण अरहया तेसु (स.सू.) १०८ जं जम्मि उ अप्पडिए (प्र.प.) ४६५ जं कुणति एवमेवं तस्साणं (उ.प.) १९५ जंचरणं पढमगुणो (ध.सं.) ११२३ जं जयइ अगीअत्थो, जं (गाथा.) ३३६ जं कूडसामलीए दुक्खं (आरा.१)८४८ जं च सुतिक्खं दुक्खं, (आरा.२)१७ जं जयइ अगीयत्थो (प.वि.) ३१ . जं केवलाई साई (वि.ण.) १८८ जंचाइयारसुत्तं समणोवासग- (श्रा.प्र.) ३८४ जं जयइ अगीयत्थो, जं (उव.) ३९८ जं केवलाइ सादीअपज्जव- (ध.सं.) १३३८ जं चाकज्जायरणे पवत्त- (ध.सं.) ५१० जं जस्स आउयं खलु (ति.गा) ८४ जं केवलिणा भणिअं (पंच.) ५९० जं चाणंत गुणंपिहु, (न.प.) ९१ जं जस्स आउय खलु (श.सं.) १८२ जं केवली न भुंजइ (प्र.प.) १४३ जं चिअ अज्जप्पभिई, (व्या.वि.) ८९ जं जस्स धरइ कंठे (ति.गा) ७२२ जं केवली वि चइउं (स.श.) ३३ जं चिअ विहिणा लिहिअं, (दे.श.) ९८ जं जस्स पियं जणसंकुले (आरा.२)२२० जं केसवस्स य बलं तं (वि.सा.)५८४ जं चिब कयं सुतित्थं, (च.प.) १९ जं जस्स पुव्वविहियं सो (आ.म.) ४४ जं कोडीए पुण्णं कामिय- (सा.प.) ५८ जंचिय खमइ समत्थो (र.सं.) ४६७ जं जस्स व पच्छित्तं, (गु.त.) २०४६ जं कोह लोह भय हास, (आ.प्र.) १९ जंचेगजिओ वि असंख- (द्वा.कु.) ५।२२ जं जह दिढेि जिणवरिहि, (प्रा.सं.) १०९ जं खलु अज्जप्पभिइ (प्र.प.) ४६३ जंचेव आउगं कुलगराण (ति.गा) ८३ जं जह भणियं तं तह (ध.सं.) ८०२ जं खलु पच्चक्खायं तब्भंगो (उ.र.) १२१ जंचेव आउयं कुल- (श.सं.) १८१ जं जह भणियं तं तह (श्रा.प्र.) ४९ जं खाविओ सि अवसो (आरा.१)८५० जं चेव खलु अणूणं (ध.सं.) ७१० जं जह भणियं तुमए, (सम्.४) १४ जं खाससाससिरवेयणाहिं (जी.प्र.) ७३ जं चेव य जाणामि (ऋषि.) ५५ जं जह भणियं तुमए, (सम्य.) १४ जं खेमंकरु अप्पणह,. (ज्ञा.कु.) ४७ जंचेव राइभोयणे (र.सं.) ४५३ जं जह सुत्ते भणियं (पंचा.) ५२८ जंगझगाहगोभयमणुभय- (ध.सं.) ६७६ जं छउमत्थाऽऽहोहियपरमाव-(वि.ण.) २१७ जं जह सुत्ते भणियं (पा.स.) ६४ जंगहविमाणभाणं (वि.ण.) ११५ जं छम्मासिय वरसिय, (नम.) २७ । जं जाइलद्धदलिआ (क.सं.) १५८ जं गहियमणाभोगाइणा (य.च.) १११ जं छम्मासिय-वरिसिय- (र.सं.) ५ जं जाओ दुहहेऊ देसेसु (आरा.१)४३४ जंगा गोयरभूमी, जच्चो (दे.ना.) ३२६ जं जं किं पि समायरिउ, (ज्ञा.कु.) २९ जं जाओ दुहहेऊ देसेसु . (प.आ.) २०५ जंगाहगपरिणामो (ध.सं.) ७३५ जं जं घरवावारं, कुणइ (उ.चि.) ८४ जं जायइ परिणामे असुहं (पंचा.) ३५४ जं गुणदोसणिमित्तं, (गु.त.) ३।१७७ जं जं जिणआणाए तं (षष्ठि.) ९२ जं जायई सती मे उप्पन- (ध.सं.) ४५ जंघाबलपरिहीणो (आरा.२)६० जं जं जीवाण दुल्लंभं, जं जारिसेण भावेण (वि.वि) २८५ जंघाबलपरिहीणो (आरा.२)८९६ जं जं जेणं जेणं (प्र.प.) ६०९ जं जाहे आवज्जइ दुच्चरियं (वि.वि) २८३ जंघाबलम्मि खीणे अविहर- (पंच.) १५२२ जं जं दव्वं वत्थुमुद्दिस्साणेग- (ल.सा.)४ जंजिणआगमदेसियं, (ज्ञा.कु.) २३ जंघाबले व खीणे (जी.अ.) १४१ जं जं धम्मट्ठाणं नरनारि- (प्र.प.) ४७८ जंजिणगिहाइ आसायंतो (आरा.१)१८४ जंघाल-जीह-मंथर- (दे.ना.) ७८१ जं जं नज्जइ असुई, लज्जि (उव.) २०९ जंजिणवरेहिं भणियं (आरा.३)११५ ૧૩૫
SR No.002422
Book TitlePrakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages446
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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