________________
छेयाण जहण्णेणं,
जं किंचि वि परसमए, छेयाण जहण्णेणं, (पं.प्र.) ८९ जं अत्थओ अभिण्णं (उ.प.) ६९४ जं एअं अट्ठा-रस-सील- (स्त.) ५३ छेयाण जहण्णेण, (पं.प्र.) ९३ जं अत्थओ अभिन्नं (जी.अ.)४० जं एअं अट्ठारससीलंग- (पंच.) ११६२ छेया पवज्जमाणा, (पं.प्र.) ९९ जं अत्थ-कामकामा (आरा.२)५ जं एएण कमेणं, (गु.त.) १३१४७ छेवढे उज्जोयं तिरिओरालि- (ल.भा.)६ जं अन्नाणी कम (ति.गा) १२२३ जं एगम्मी सत्तं अन्नम्मि (ध.सं.) ४३६ छेवटुं संघयणं, तेहट्ठि- (जी.सं.)६० जं अन्नाणी कम्म, (सं.सि) १०० जं एगस्स बहूण व, (गु.त.) २८७ छेवटुं संघयणं सुत्ते (वि.ण.) ८० जं अन्नाणी कम्मं खवेइ (पंच.) ५६४ जं एत्थ णिव्विसेसं गहो (ध.सं.) १३६४ छेवट्ठस्स बिइंदी बारस- (पं.सं.) ७२२ जं अन्नाणी कम्मं खवेइ (वि.सा.)८७७ जं एमाई पयत्था, आगमेण (श्रा.दि.)९२ छेवट्ठस्सेसाणगउवरिमदेवा (श.भा.) ५९९ जं अन्नाणी कम्मं खवेइ (गु.श.) ३३ जं एवं वरनगरं पाडलिपुत्तं (ति.गा) ६३५ छेवद्वेण उगम्मइ, चउरो (बृ.सं.) १६२ जं अप्पयासठाणे, जं वा (उ.चि.) २६८ जं एयवइयरेणं सरीरसक्कार- (पंचा.) ३७० छेवद्वेण उ गम्मइ, चत्तारि (त्रै.दी.) २६७ जं अप्पुट्ठा भावा ओही- (स.सू.) ८३ जं एवं तेलोकं नऽग्घइ (आरा.२)४९७ छेवढेण उ गम्मई, (त्रै.दी.) ४०२ जं अप्पुढे भावे जाणइ (स.सू.) ८४ जंकट्ठमणुट्ठाणं, दाणं (हि.उ.) २०१ छेवट्ठोदारिय अंगुवंगा (श.भा.) ४३२ जं अब्भसेई जीवो, गुणं (गु.कु.) ८ जं करणेणोकड्डिय (पं.सं.) ६४४ छोब्भो पिसुणे, दासम्मि (दे.ना.) ३१९ जं अभिवड्डिअवासे, (त.त.) २८ जं करणेणोकड्डिय (कर्म.) २२४ छोल्लिज्जंतं तह संकडाउ (भ.भा.) ९६ जं अवरद्धं किंची सुय- (आरा.१)५०२ जंकल्ले कायव्वं अज्जं. (जी.प्र.) ११५ छोहो विक्खेवो हिअयं (पा.ल.) २७० जं अविचलियसहावे णत्ते (ध.सं.) ८३७ जं कल्ले कायव्वं, तं । (वै.श.) ३
जं असुइदूसियं पि हु (वि.मं.) ९३ जं कवडवावडेण, मए (आ.प्र.) २० जं आगम-आयरणिहिं (चर्च.) ३२ जंकह वि मुसं भणियं (आरा.३)४७ जं आगमववहारी सुअनिर- (प्र.प.) २८६ जं काउं किइकम (प्रत्या.) २६ जं आणवेइ राया, पगईओ (उव.) ७ जं काणा खुज्जा वामणा (ध.कु.) १३ जं आणाए चरणं आहाकम्मा-(उ.प.) १८५ जं काणा खोडा वामणा (जी.प्र.) ७५
जं आणाए बहुगं जह (उ.प.) ७८७ जंकायव्वं तं आणवेह (धूर्ता.) १९९ जं अइतिक्खं दुक्खं (आरा.२)६९४ जं आमोसहि विप्पो- (पु.मा.) ७२ जं कारणाणुरूवं कज्जं (ध.सं.) ६३ जं अइतिक्खं दुक्खं, जं (इ.प.) ३१ जं आरुग्गमुदग्गमप्पडिहयं (सं.प्र.) ११२८ जं कारणेण दिण्णं (प.वि.) १४ जं अइदुक्खं लोए, जं (हि.उ.) ५१८ जं आवस्सयखंधो उवजुज्जइ (प्र.प.) २८४ जं कालविसेसेणं, पत्ते (उ.चि.) १६८ जं अइयभवनिबद्ध अहिगरणं (य.च.) १४८ जं आसि धम्मबीयं पुव्वभवे (आ.हि.)८ जंकाविलं दरिसणं (स.सू.) १४५ जं अज्ज वि जीवाणं, __ (इ.प.) ४८ जं इंदियसयणाई पडुच्च (सं.प्र.) १२१४ जं कार्हिति अकज्जं, (गु.त.) २०१५ जं अज्ज वि जीवाणं, (पु.मा.) ४९५ जं इक्कं छजिअवहो (प्र.प.) ७४७ जं किंचि अणुट्ठाणं जिणेद (आ.अ.)२५ जं अज्जिअंचरितं, (सं.सि) ६८ जं इट्ठविओगकंदणेहिं (जी.प्र.) ७४ जं किंचि इत्थणुचियं (पिं.लो.)७३ जं अज्जियं चरित्तं (आरा.१)६६७ जं इत्थ अहं चुक्को मंदमइ- (जोग.) ६८ जं किंचि कयमकज्जं (अ.कु.) २. जं अज्जियं चरित्तं
जं इत्थ जणपसंसाइ, परभवे (उ.चि.) १०६ जं किंचि कयमकज्जं (आरा.१)१७४ जं अज्जियं चरितं (चं.प.) १४३ जं इत्थ मिच्छत्तविमोहिएणं, (आ.प्र.) ४८ जं किंचि कयमकज्जं (आरा.४)२० जं अज्जियं चरितं (ति.गा) १२०१ जं इय इमं न दुक्खं कम्म- (पंच.) ८५७ जं किंचि खाइ, जं (आरा.२)६०० जं अज्जियं चरितं, देसूणाए (क्षमा.) १२ जं इह अहापवत्तं, रिसिणो (उ.चि.) १६२ जं किंचि दुहं लोए, (.मा.) १५६ जं अज्जियं चरितं, देसूणाए (पु.मा.) ३१४ जं इह सामाचारी दसहा (प.द.) ६१ जं किंचि दुहं लोए (आरा.१)६१९ जं अज्जियं चरितं, देसूणाए (हि.उ.) ४९१ जं इह सुत्तुत्तिन्नं, न (हि.उ.) ५२३ जं किंचि दोसदुटुं (न.मा.) १२।१९ जं अज्जियं य कम्मं (चं.प.) १४४ जं उक्कालिअसंगरजलतरिआ (प्र.प.) ४६१ जं किंचि नामतित्थं (सा.प.) ६६ जं अज्जियं समीपल्लएहिं (जी.अ.)७४ जं उज्जमेण सिज्झइ, (य.शि.) ४९ जं किंचि पमाएणं ण (पंच.) १४१६ जं अज्जियं समीपल्लवेहिं (क्षमा.) १३ जं उट्ठितं सुयाओ (ति.गा) १२६० जं किंचि परमतत्तं, परमप्पय-(न.कु.) ११ जं अज्झयणज्झावणववहारो (प.द.) ६० जं उत्तमचरियमिणं सोउं (पंचा.) ८१ जं किंचिभासगंतं दठूण (पंच.) ९३९ जं अणुओगे आगम, (व्या.वि.) ७६ जं उत्तमसंगेणं समज्जियं (दा.मा.) २१ जं किंचि वत्थुजायं, (स.श.) ६१ जं अण्णहा वि तीरइ (ध.सं.) २८५ जं उद्धियं सुयाओ, पुव्वा- (त्रै.दी.) ५०० जं किंचि विचिंतितंतो (ष.स.) ५५ जं अण्णाणी कम्म, (गाथा.) ५०७ जं उद्धियं सुयाओ पुव्वा- (श्रा.प्र.) ४०१ जं किंचि वितहकहणं, - (गु.त.) ३।११५ जं अण्णुवि फलु फुल्ल (बा.बो.) ६६ जंउवघायपरिणओ, (भा.र.) ५१ जं किंचि वि परसमए (स.श.) ६८ जं अत्ताणो निप्पडिकम्मो (आरा.१)८५७ जं उसहकेवलाओ, (सि.दं.) १ जं किंचि वि परसमए, (व्या.वि.) ५३
१३४