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________________ [२१७] पुरुषवेदना बंध, उदय, उदीरणा अने प्रथम स्थिति विच्छेद पामे. प्रथम स्थिति बे आवलिका शेष रहे एटले पूर्व कह्या प्रमाणे उपली स्थितिमांथी उदीरणा करवा रूप आगाल न थाय. अने ते समयथी आरंभीने छ नोकषायनां दळ पण पुरुषवेदमां न क्षेपवे, पण संज्वलन क्रोधादिकमां क्षेपवे. हास्यादि षटक उपशमाव्या पछी समयोन बे आवलिका मात्रे पुरुषवेद उपशमे, ते पण प्रथम समये रतोक, बीजे समये असंख्यात गुण, त्रीजे समये तेथी असंख्यात गुण, एम वे समय ऊन आवलिका द्विकना चरम समय सुधी उपशमावे. अने तेटला ज काळ सुधी प्रतिसमये परप्रकृतिमां संक्रमावे. पण ते प्रथम समये बहु संक्रमावे, बीजे समये तेथी ओछा, त्रीजे समये तेथी ओछा, एम चरम समय सुधी जाणवू. आ प्रमाणे पुरुषवेद उपशमावे सते मोहनीनी १६ प्रकृति उपशमी. हास्यादि षट्क उपशमाव्या, अने पुरुषवेदनी प्रथम स्थिति क्षीण थई, तेना बीजा समयथी ज अप्रत्याख्यान प्रत्याख्यान अने संज्वलन क्रोधने समकाळे उपशमाववा मांडे, तेने पूर्वनी पेठे उपशमावतां ज्यारे संज्वलन क्रोधनी प्रथम स्थिति एक समय ऊणी त्रण आवलिका रहे, त्यारे अप्रत्याख्यान अने प्रत्याख्यान ए बन्ने क्रोधनां दळ संज्वलन मानमां क्षेपवे. संज्वलन क्रोधमां क्षेपवा बंध करे. संज्वलन क्रोधनी प्रथम स्थिति बे आवलिका शेष रहे त्यारपछी आगाल विच्छेद थाय, उदीरणा ज रहे. अने एक आवलिका रहे त्यारे उदीरणानो पण विच्छेद थाय. आवलिका शेषे संज्वलन क्रोधना बंध, उदय अने उदीरणानो विच्छेद थाय. अने अप्रत्याख्यान तथा प्रत्याख्यान क्रोध उपशमी जाय, एटले कुल १८ प्रकृतिनो उपशम थाय. ते वखते संज्वलन क्रोधनी प्रथम स्थितिगत एक आवलिका अने समयोन आवलिकाद्विकबद्ध उपली स्थितिगत दळीयां ज होय. तेमांथी प्रथम स्थितिगत आवलिकाने तो स्तिबुक संक्रमे संज्वलन मानमा संक्रमावे. अने समयोन आवलिकाद्विकबद्ध दलिक पुरुषवेदां उपर कह्याप्रमाणे उपशमावे अने संक्रमावे. एटले समयोन आवलिकाद्विक काळे संज्वलन क्रोध उपशमी 'जाय त्यारे कुल १९ प्रकृतिनो उपशम थाय जे समये संज्वलन क्रोधना बंध, उदय अने उदीरणा व्यवच्छेद थाय तेना अनंतर समयथी ज संज्वलन माननी बीजी स्थितिमांथी दळीयां आकर्षाने प्रथम स्थिति करे अने वेदे. तेमां उदय समये थोडा प्रक्षेपे, बीजे समये तेथी
SR No.002417
Book TitleYantrapurvak Karmadi Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mahila Mandal
PublisherJain Mahila Mandal
Publication Year1932
Total Pages312
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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