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१३ ना बंधमां पांच सत्तास्थान - २८ - २४-२३-२२-२१.
१३ ना बंधवाळा तिर्येच अने मनुष्य होय छे. तेमां तिर्यंचने चार उदयस्थान -५ -६-७-८, तथा सत्तास्थान २८ अने २४ ए बे ज होय. कारण के बीजां सत्तास्थान तिर्यचने न होय. बीजां सत्तास्थान तो क्षायिक उत्पन्न मनुष्यने होय छे. अने क्षायिकवाळो तिर्यचमां जाय तो असंख्य अयुमां ज जाय छे, त्यां देशविरति न होवाथी तेने १३ नो बंध होतो नथी.
२८ नी सत्ता उपशम अने वेदक ( क्षयोपशम) समकितीने होय छे. तेमां उपशम उत्पन्न काळे अंतरकरणना काळमां वर्तता जीवमां कोई देशविरतिपणुं पण पामे छे. कोई मनुष्य सर्वविरति पण अंगीकार करे छे. प्रगट ज छे. अने अनंतानुबंधीनी विसं योजना कर्या पछी २४ नी सत्ता होय.
२८ नी सत्ता वेदक वाळाने होय ते तो
५ ना उदयमां देशविरति मनुष्यने ३ सत्तास्थान - २८ - २४-२१.
६-७ ना उदयमां पांच सत्तास्थान -- २८-२४-२३-२२-२१.
८ ना उदयमा २१ विना चार सत्तास्थान –२८-२४-२३-२२.
९ ना बंवमां प्रमत्त तथा अप्रमत्तने ४ ना उदयमां त्रण त्रण सत्तास्थान - २८ - २४-२१.
५-६ ना उदयमां ५ सत्तास्थान.
७ ना उदयमा २१ विना ४ सत्तास्थान.
गाथा २३
५ ना बंधमां ६ सत्तास्थान - २८-२४-२१-१३-१२-११.
२८ - २४ नी सत्ता उपशम श्रेणिमां उपशम समकितीने होय.
२१ नी सत्ता उपशम श्रेणिमां क्षायिक समकितीने होय (बीजी त्रीजी चोकडी न खपावी होय त्यां सुधी).
१३ नी सत्ता बीजी त्रीजी चोकडी खपावे त्यारे.
१२ नी सच्चा नपुंसक बेद खपावे त्यारे .
११ नी सत्ता स्त्रीबेद खपावे त्या रे.
५ विगेरे सत्ता पांचना बंधवाळाने न होय, कारण के त्यां पुरुषवेद बंधभां छे, अने पुरुषवेद बंधा त्यां सुधी हास्यादि षट्कनो क्षय न थाय तेथी. ४ ना बंधमा छ सत्तास्थान – २८ - २४-२१-११-५-४.
२८ - २४ - अने २१ नी सत्ता उपशम श्रेणिमां. पण जो नपुंसकवेदे क्षपकश्रेणि मांडे तो समकाळे नपुंसकवेद अने स्त्रीवेदने खपावे. तेज वखने बंधमांथी पुरुषवेद खपावे. पछी पुरुषवेद अने हास्यादि षट्क सत्तामांथी खपावे. एटले ते न खपावे त्यां सुधी ११ नी सत्ता, अने खपाव्या पछी ४ नी सत्ता.