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१० ना उदयमां त्रण सत्तास्थान - २८-२७-२६उदयमां अनंतानुबंधी अवश्य होवाथी २१ ना बंधमां एक सत्तास्थान २८ नं.
२१ ना बंधमां उदयस्थान ३ (७-८-९) ते त्रणेमां सम्यक्त्व गुण वडे मिथ्यात्व शुद्ध करेल होवाथी तेनी त्रणे प्रकृति सत्तामां पामीए तेथी २८. ( २१ नो बंध बीजे गुणस्थाने ज होवाथी . )
१७ ना बंधमां ६ सत्ता स्थान - २८-२७-२४-२३-२२- २१. १७ नो बंध त्रीजे तथा चोथे गुणस्थाने होय छे. तेमां त्रीजा गुणस्थान (ळाने ३ उदयस्थान होय छे - ७-८ - ९. तथा चोथा गुणस्थान बाळाने ४ उदयस्थान होय छे-६-७-८-९.
६ ना उदयव । ळा उपशम समकितीने बे सत्तास्थान - २८ - २४. समकित प्राप्ति काळे २८. उपशम श्रेणिधी पडतां उपशांत अनंतानुबंधीवाळाने २८. अने उद्वलित अनंतानुबंधी वाळाने सत्तामां २४ तथा क्षायिक समकितीने २१ नुं ज सत्तास्थान होय छे. केमके सप्तकनो क्षय छे. कुस ६ ना उदयमां त्रण सत्ता स्थान छे - २८ - २४-२१.
७ ना उदयमां मिश्रदृष्टिने सत्तास्थान त्रण छे- २८-२७-२४. जे २८ नी सत्तावाळो त्रीजुं गुणस्थान पामे, तेने तो २८ नी सत्ता. परंतु जे मिध्यादृष्टिए समfaa मोहनी उद्वलित करी होय, मिश्र न करी होय त्यां सुधी तेने २७ नी सत्ता. अने जे पूर्वे समकिती छतो अनंता नुबंधीनी विसंयोजना करी पछी मिश्र जाय तेने २४ नी सत्ता. तेवा जीव चारे गतिमां पामीए. चोथा पांचमा अने छठ्ठा गुणस्थानवाला जीव अनंतानुबंधीनी विसंयोजना कर्या पछी परिणामना वशथी त्रीज़े गुणस्थाने आवे तेने आश्रीने २४ छे.
७ ना उदयमा चोथा गुणस्थान वाळाने ५ सत्तास्थान - २८ - २४-२३-२२-२१. तेमां २८ तथा २४ नी सत्ता उपशमवाळाने के क्षयोपशमवाळाने. पण २४ नी सत्ता तो अनंतानुबंधीनी विसंयोजना कर्या पछी. २३ अने २२ नी सत्ता क्षयो पशमवाळाने. तेमां अनंतानुबंधी अने मिथ्यात्व खपावनारने २३, तदुपरांत मिश्र खपावनारने २२. समकित मोहनी खपावतां चरम ग्रासे वर्ततो कोई जीव काळ करे तो ते चारे गतिमां पामीए, तेथी २२ नुं सत्तास्थान पण चारे गति. मां पामीए. तथा २१ नी सत्ता क्षायिक सम्यग्दृष्टिनेज होय.
८ ना उदयमां पण त्रीजा चोथा गुणस्थानवाळाने उपर प्रमाणे पांच सत्तास्थान. ९ ना उदयमां पण तेज प्रमाणे समजवुं विशेष एटलो छे के ९ नो उदय क्षयोपशम समकितीने ज होय, तेथी तेने ४ सधास्थान - २८-२४-२३-२२.