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* गीता दर्शन भाग-7*
खाने भीतर जाता हूं।
हिटलर अपनी सभाओं में...। नसरुद्दीन ने सोचा कि बड़ी मुश्किल है। आदमी को भी धोखा | शुरू-शुरू में जब उसको कोई मानने वाला भी नहीं था, कुल देना आसान है। यह लोमड़ी को धोखा देना और मुश्किल है। पास | सात आदमी उसकी पार्टी के मेंबर थे। और सातों ही फिजूल लोग ही पहुंचे कि वह आवाज कर देगी। तो उसने क्या किया? वह जहां | | थे। एक भी आदमी कीमत का नहीं था। निकाले गए लोग, बेकार बैठा था, वहां से धीरे-धीरे पास सरकने लगा। आंख उसने बंद कर लोग, जिनके पास कुछ काम-धाम नहीं था, उन्होंने हिटलर को नेता ली और झोंके खाने लगा। लोमड़ी ने देखा इस आदमी को सोते मान लिया था। लेकिन उन सात के बल पर इस जमीन का सबसे हए: उसकी भी आंखें झपने लगीं। धीरे-धीरे नसरुद्दीन देखता शक्तिशाली साम्राज्य स्थापित करने की कोशिश हिटलर ने की। जाता; जब लोमड़ी बिलकुल सो गई, तब उसने आम उठा लिया। वह उन सात बेकार आदमियों को लेकर सभाओं में चला जाता। तब नसरुद्दीन आम खाकर छुप रहा। उसने सोचा कि देखें, अब | दूसरों की सभा हो रही है। वह सात आदमी बिठा देता। वे सात मालिक क्या करता है आकर!
आदमी जगह-जगह से शोरगुल करके डिस्टरबेंस शुरू कर देते। मालिक आया और उसने लोमड़ी को जगाया, उसने कहा, कुछ और हिटलर खुद हैरान हुआ कि सात आदमी थे, लेकिन सत्तर क्यों भूल हो गई। आम कम मालूम पड़ते हैं। क्या गड़बड़ है? कहानी गड़बड़ कर रहे हैं! उसके तो सात ही आदमी थे। सात सत्तर को कहती है कि लोमड़ी ने कहा कि यहां तो कोई पास आया नहीं। गड़बड़ करवा देते हैं। सत्तर सात सौ को पकड़ लेते हैं। फिर वे जो सिर्फ एक आदमी था, जो सो रहा था। मालिक ने कहा कि मैंने तुझे | मौलिक सात हैं, उनकी तो कोई चिंता करने की जरूरत नहीं। भीड़ कहा था कि कोई भी तरह की क्रिया आस-पास हो और कुछ भी ने ले लिया मामला। संदेह मालूम पड़े, आवाज करना। सोना भी एक क्रिया है। और तुझे | फिर इसका उपयोग वह अपनी सभाओं में जब उसने अपनी सचेत हो जाना चाहिए था।
सभाएं शुरू की, तो उसके पास पचास आदमी थे। दस हजार लोगों आपके पास कोई सोने लगे तो आपके भीतर प्रवाह शरू हो की सभा हो. उसके पचास आदमी पचास जगह बैठे रहते। पक्क जाता है।
| पता होता कि किस वाक्य के बाद वे पचास आदमी ताली बजाएंगे। मेरा अनुभव है। मैं यहां बोल रहा हूं। अगर एक आदमी खांसने जैसे ही हिटलर का इशारा होता, वे पचास आदमी ताली बजाते। लगे-हो सकता है, उसकी खांसी वास्तविक हो-दूसरे लोग | पांच हजार आदमी उनका साथ देते। धीरे-धीरे बाकी लोग भी साथ संक्रामक हो जाते हैं। खांसी सुनते ही उनको खयाल आ जाता है देने लगे। वे पचास आदमी पांच हजार लोगों से तालियां बजवाने कि वे भी खांसना जानते हैं। खांस सकते हैं। उनके पास भी गला लगे। तब हिटलर को सत्र साफ हो गया कि भीड़ कैसे चलती है। है। फिर कठिन हो जाता है, रोकना कठिन हो जाता है। और ऐसा जो भी चारों तरफ हो रहा है, परिस्थिति बन जाती है और उसमें नहीं कि यह सचेतन हो रहा है। यह बिलकुल अचेतन है। आप बह जाते हैं। हिंदू मस्जिद में आग लगा रहे हैं। मुसलमान __आप देखें, सड़क पर एक भीड़ चली जा रही है; आंदोलनकारी मंदिर तोड़ रहे हैं, आग लगा रहे हैं। इनमें से एक-एक मुसलमान हैं; कोई घेराव कर रहा है; कोई हड़ताल कर रहा है। आप घूमने | को अलग से पूछो कि क्या सच में तू मंदिर में आग लगाना चाहता निकले थे, आप तेजी से चलने लगते हैं उनके साथ। उनका जोश | है? वह कहेगा कि नहीं। एक-एक हिंदू से पूछो कि तुझे क्या आपको पकड़ जाता है। वे नारे लगा रहे हैं, आपका भी दिल होने मिलेगा? यह धर्म है कि तू मस्जिद को जला दे या किसी की हत्या लगता है। वे कहीं आग लगा रहे हैं, आप भी खड़े हो जाते हैं। कर दे? वह कहेगा, नहीं। लेकिन भीड़ में, वह कहता है, भीड़ में सहयोगी भी हो जाते हैं!
मैं था ही नहीं। भीड कछ कर रही थी. मैं उसका हिस्सा हो गया। एक बहुत बड़े मनोवैज्ञानिक ने, जर्मनी में जो नाजीवाद की घटना। | भीड़ पकड़ लेती है आपको। घटी, उस पर एक किताब लिखी : दि साइकोलाजी आफ फैसिज्म। आप जरा देखें! अगर दस मिलिट्री के जवान सड़क पर कवायद वैज्ञानिक था विलहेम रैक। बड़ी अदभुत किताब है, फैसिज्म का कर रहे हों, थोड़ी देर उनके पीछे चलकर देखें! आपको पता नहीं, मनोविज्ञान। वह भीड़ का मनोविज्ञान है। और हिटलर बड़ा कुशल | कब आप लेफ्ट-राइट करने लगे। आपके पैर उनसे मिलने लगेंगे, था। इस बात को जानता था कि भीड़ कैसे काम करती है। तब ही आपको खयाल आएगा, यह मैं क्या कर रहा हूं!
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