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________________ * होशः सत्व का द्वार * बाहर आकर आपको पता चले कि अफवाह थी; किसी ने ऐसे | हम सीधे-सादे लोग। हम समझे नहीं आपका मतलब! चोर कहां ही चिल्ला दिया कि मकान में आग लगी है। कहीं कोई आग नहीं है? कैसे मर गया? लगी। आप वापस अपने बिस्तर में लौट आएंगे। रजोगुण तमोगुण ___ उस साधु ने कहा, मैं ही था वह चोर, लेकिन अब मैं मर चुका में प्रविष्ट हो गया। वह जो ऊर्जा जगकर सक्रिय होना चाहती थी, | हूं। और वह चोर अब तुम्हें कहीं भी नहीं मिलेगा। वह नहीं है अब। वह फिर विश्राम को उपलब्ध हो गई। | तुमने मेरे चरणों में झुककर उसकी हत्या कर दी। तुम गोली से उसे बाहर की परिस्थिति आपको चौबीस घंटे चला रही है। इसलिए | | नहीं मार सकते थे, लेकिन तुमने उसे मार दिया। और जब झूठी अगर आपमें भरोसा करने वाले लोग आपके चारों तरफ हों...। | साधुता में इतना अर्थ हो सकता है, तो मैं अब उस साधुता की आप चोर हैं, और आपके पास आठ-दस लोग हों, जो आपको तलाश करूंगा, जो सच्ची है। मानते हों कि आप साधु हैं, तो हो सकता है कि उनकी मान्यता के वह एक बड़ा झेन फकीर हो गया। वह सदा यह घटना लोगों से कारण आपकी धारा सत्वगुण से बहने लगे। क्योंकि वे बारह कहा करता था कि मैं कोई साधु बनने नहीं आया था, परिस्थिति ने आदमी आपके अहंकार को बढ़ा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि आप सत्व का उदय कर दिया। नमो बुद्धाय! सुबह का सूना मंदिर; मंदिर महासाधु हैं। अब आप चोरी करना भी चाहें, तो आपका अहंकार की दीवारों में गूंजता नमो बुद्धाय का मंत्र; मूर्ति के पास से उठती बाधा देता है कि कम से कम मश्किल से तो जिंदगी में बारह आदमी हई धप: सगंधित वातावरण: सिपाहियों का आना और मेरे चरणों मिले, जो साधु मानते हैं, अब दो-चार पैसे की चोरी के लिए | में झुक जाना-मेरी सारी ऊर्जा सत्व से बह गई। एक क्षण को मुझे साधुता को खोना उचित नहीं मालूम होता। सत्व का अनुभव हुआ कि साधुता का सुख, साधुता की सुगंध, ऐसा हुआ। मैं एक साधु का जीवन पढ़ता था। एक झेन फकीर | | साधुता का फूल क्या है। हुआ। वह चोर था साधु होने के पहले। एक महल से चोरी करके __आप पूरे समय बदल रहे हैं। इसलिए अच्छे आदमी के पास भागा। पुलिस उसके पीछे है; लोग उसको पकड़ने आ रहे हैं। कोई | | आप अच्छे आदमी हो जाते हैं। बुरे आदमी के पास आप बुरे उपाय न देखकर, कोई मार्ग न देखकर, वह एक बुद्ध मंदिर में प्रवेश | आदमी हो जाते हैं। अगर सक्रिय लोगों के बीच में पड़ जाएं, तो कर गया। सुबह कोई चार बजे रात का समय था। कोई भिक्षु सोया | आप सक्रिय हो जाते हैं। अगर आलसियों के बीच में पड़ जाएं, तो था, उसके कपड़े टंगे थे। उसने भिक्षु के कपड़े पहन लिए और | आपको नींद आने लगती है। मंदिर में हाथ-पालथी मारकर बुद्धासन में बैठ गया। नमो बुद्धाय, आपने खयाल नहीं किया होगा। अगर यहां इतने लोग बैठे हैं; नमो बुद्धाय का मंत्र जाप करने लगा। | इनमें से दो-चार लोग जम्हाई लेना शुरू कर दें आपके पास, तो सिपाही भागे हुए मंदिर के पीछे आए। वे उसका पीछा कर रहे | | ज्यादा देर नहीं लगेगी कि आप जम्हाई शुरू कर देंगे। एक आदमी थे। लेकिन वहां एक साधु बैठा है, नमो बुद्धाय का पवित्र मंत्र गूंज | | जम्हाई ले कि पास वाले को खुजलाहट शुरू हो गई। उसके गले रहा है। वहां कोई चोर नहीं। वे सिपाही उसके चरणों में झके से जम्हाई उठने लगी। नींद! वह जो आलसी आपके पास बैठा है, उसको नमस्कार किए; और कहा, साधु महाराज, यहां कोई चोर | | उसने नींद आपको पकड़ा दी। तो नहीं आया? । मुल्ला नसरुद्दीन के जीवन में एक उल्लेख है। बाजार से गुजरता जब वे उसके चरणों में झुके, तब उसे बड़ी हैरानी हुई। और एक | था, साग-सब्जी, फलों की दुकानें थीं। एक दुकान पर उसे बड़े क्रांति हो गई। उसे लगा कि मैं एक झूठा साधु! और झूठी साधुता मधुर आम रखे हुए दिखाई पड़े। पैसे उसके पास नहीं थे। मगर मन में इतना बल-झूठी साधुता में—कि जो मेरी हत्या करने मेरे पीछे जकड़ गया। तो वह कोई उपाय सोचने लगा। वहीं सामने दुकान लगे थे, वे मेरे चरणों में झुक गए! अगर झूठी साधुता में इतना बल के सड़क के उस तरफ बैठकर कुछ उपाय सोचने लगा। है, तो सच्ची साधुता में कितना बल होगा! तभी दुकानदार ने अपनी लोमड़ी, जो उसने एक लोमड़ी पाल उसने उन सिपाहियों से कहा कि चोर आया था, लेकिन अब तुम | | रखी थी, उसे दुकान के बाहर लाया और लोमड़ी से कहा कि बैठ उसे खोज न पाओगे। वह चोर मर चुका। और दुकान का ध्यान रखना। और किसी भी तरह का कोई आदमी वे सिपाही बोले, हम समझे नहीं! आप रहस्य की बातें न करें। पास आए और संदिग्ध मालूम पड़े, तो आवाज देना। मैं जरा खाना 59
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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