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* त्रिगुणात्मक जीवन के पार *
करते हैं कि परमात्मा के तीन चेहरे हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश। उन | | जितना ज्यादा तम हो, उतनी अविकसित चीज मानी जाएगी। जितना तीन चेहरों से ही सारा जगत, उन तीन व्यक्तित्वों से ही सारा जगत | कम तम हो, उतनी विकसित। आदमी सबसे ज्यादा गतिमान है। निर्मित है।
पत्थर सबसे ज्यादा गतिहीन है। पौधों में थोड़ी गति है। पशुओं में सांख्य अति वैज्ञानिक है। वह ट्रिनिटी और त्रिमूर्ति की बात नहीं | और ज्यादा। मनुष्य में बहुत। करता, तीन चेहरों की बात नहीं करता; वह तीन तत्वों की बात ___ मनुष्य पानी में भी गति करे, जमीन पर भी, हवा में, आकाश में करता है, सत्व, रज, तम। सत्व, रज, तम, तीनों के तीन गुण हैं। भी, चांद-तारों तक भी जाए। उसे रोकने का उपाय नहीं, सब तरफ और उन तीनों गुणों के मेल से सारा अस्तित्व गतिमान है। | भागता है। इसलिए मनुष्य सर्वाधिक विकसित है। उसने अपने तम
तम स्थिति-स्थापक है। तम का अर्थ है, आलस्य की, विश्राम | की या अपने भीतर की मृत्यु पर सर्वाधिक विजय पा ली है। वह की दशा, ठहरी हुई दशा, अवरोधक। एक पत्थर आप फेंकते हैं। बदल सकता है। अगर आप न फेंकते, तो पत्थर अपनी जगह पड़ा रहता। अपनी समाज में भी वही समाज सबसे ज्यादा प्रगतिशील होगा, जिसने जगह पड़ा रहना तम है। जब तक कि कोई बाहरी चीज धक्का न | तम को तोड़ दिया है। पश्चिम के समाज अपने तम को तोड़ने में दे, सभी चीजें अपनी जगह पड़ी रहेंगी। तम का अर्थ है, अपनी | काफी सफल हुए हैं। विकास तीव्र हो गया है। लेकिन किन्हीं जगह ठहरे रहना, हटना नहीं। और जब आप पत्थर को फेंकते हैं, |
सीमाओं में विकास इतना ज्यादा हो गया है कि ठहरने की उन्हें कला तब भी आपको ताकत लगानी पडती है। वह ताकत इसीलिए | ही भूली जा रही है। तो भी घबड़ा गए हैं। लगानी पड़ती है, क्योंकि पत्थर अपनी जगह रहना चाहता है। | ___ क्योंकि एक आदमी चल पड़े और रुकना न जाने, रुकना भूल उसको जगह से हटाने में आपको संघर्ष करना पड़ता है। जाए! मंजिल पर पहुंचने को चला था, लेकिन मंजिल पर रुकना
फिर आप पत्थर को फेंक भी देते हैं, अगर तम जैसी कोई चीज | पड़ेगा; और वह रुकना भूल जाए! और चलना ऐसा हो जाए कि न होती, तो पत्थर फिर कभी रुकता ही नहीं। वह चलता ही चला | वह रुकना भी चाहे, तो रुक न सके। मंजिल भी आ जाए, तो क्या जाता। लेकिन पत्थर लड़ रहा है रुकने के लिए। आपने फेंक दिया, | करे? मंजिल पीछे छूट जाएगी। वह आदमी चलता ही रहेगा। तो आपने थोड़ी-सी ऊर्जा उसको दी, शक्ति दी अपने शरीर की। वह | __तमः ठहरने वाली, ठहराने वाली, रोकने वाली। रजः गति देने शक्ति जैसे ही चुक जाएगी, पत्थर वापस जमीन पर गिर जाएगा। वाली, तीव्रता देने वाली। रज शक्ति है, ऊर्जा है प्रवाहमान, जैसे
विज्ञान जिसको ग्रेविटेशन कहता है, सांख्य उसको तम कहता | नदी, विद्युत। है, ठहरने की, प्रतिरोध की, रुकने की, स्थिति में बने रहने की। यह सारा जगत गतिमान है। अगर चीजें ठहरी ही रहें, तो जगत
अगर दुनिया में तम न हो, तो फिर कोई भी चीज ठहरेगी नहीं। नहीं हो सकता। उसमें चलना, उसमें बढ़न बड़ा मुश्किल हो जाएगा। सभी चीजें गति में रहेंगी। और गति इतनी बच्चा पैदा होता है; बढ़ेगा। मौत अगर तम है, तो जीवन रज है, विक्षिप्त हो जाएगी कि उसके ठहरने का कोई उपाय नहीं रह | | जन्म रज है। जन्म के क्षण में बच्चे में रज का तत्व ज्यादा होता है, जाएगा। अकेली गति काफी नहीं है। ठहरने का तत्व कहीं प्रकृति | | तम का कम। बूढ़े में तम बढ़ जाता है और रज कम हो जाता है। में गहन होना चाहिए।
जिस दिन रज और तम दोनों समान होते हैं, उस दिन व्यक्ति जवान . तम है स्थिति का, ठहरने का तत्व; कहें मृत्यु का तत्व। क्योंकि | | होता है; उस दिन उसमें गति और ठहराव बराबर होते हैं। उस दिन मृत्यु ठहरा लेती है। मर जाने के बाद फिर कोई गति नहीं है। । संतुलन होता है। उस दिन एक बैलेंस होता है। इसीलिए जवानी में इसलिए तामसिक व्यक्ति हम उसको कहते हैं, जो मरा-मरा जीता | | एक सौंदर्य है। है। जिसमें तम इतना है, कि जिसमें गति है ही नहीं। जो चलता ही | | बच्चे में एक त्वरा होती है, चंचलता होती है, क्योंकि रज तेज नहीं, उठता ही नहीं। जिसके भीतर कोई क्रांति, कोई परिवर्तन, कोई होता है, तम कम होता है। तुम उसे कहो कि बैठो शांत, तो वह नया नहीं होता; कुछ रूपांतरण नहीं होता। जो पत्थर की तरह पड़ा शांत नहीं बैठ सकता। बूढ़ों को बहुत अखरता है कि बच्चे शांत हुआ है।
नहीं बैठ सकते। उनको अखरने का कारण है। क्योंकि वे चंचल देखें, हम प्रकृति में भी इसी तरह हिसाब लगाते हैं विकास का। नहीं हो सकते।
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