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________________ * गीता दर्शन भाग-7 * हुआ है। मिनिस्टर हो गया है और मैं भी एम.ए. पास हूं, तो मैं क्यों क्लर्क आदमी पर निर्भर है। अगर आप, जिसको आप कह रहे हैं कि रहूं! और यह भी हो सकता है कि थर्ड क्लास एम.ए. मिनिस्टर हो सारा जगत स्वस्थ हो जाए, ये सारे उपद्रवी लोग अगर स्वस्थ हो गया है और फर्स्ट क्लास एम.ए. क्लर्क है, तो वह कैसे बरदाश्त | जाएं, तो आप यह मत सोचना कि शांति आएगी दुनिया में। वह जो करे! तो उपद्रव खड़ा होगा। बीमार था, एक पत्नी से राजी था; वह जब स्वस्थ हो जाएगा, दस लोग सोचते थे, गरीबी कम हो जाएगी, तो समाज में सुख आ | | पत्नियों से भी राजी होने वाला नहीं। वह बीमार था, तो वह कभी जाएगा। अमेरिका से गरीबी काफी मात्रा में तिरोहित हो गई। कम | | बरदाश्त भी कर लेता था; सह भी लेता था; समझा लेता था अपने से कम आधे वर्ग की तो तिरोहित हो गई। लेकिन वह जो आधा | | को। वह स्वस्थ हो जाएगा, तो वह तलवार लेकर कूद पड़ेगा, वह वर्ग आज गरीबी के बिलकुल पार है, वह बड़े महान दुख में पड़ा | सह भी नहीं सकेगा, बरदाश्त भी नहीं करेगा। आदमी अगर गलत है, तो उसका स्वस्थ होना खतरनाक है। अब तक हम सोचते थे कि धन होगा, तो सुख होगा। अब | आदमी अगर गलत है, तो उसका शिक्षित होना खतरनाक है। जिनके पास धन है, उनका सुख इस बुरी तरह खो गया है, जितना आदमी अगर गलत है, तो उसका धनी होना खतरनाक है। और किसी गरीब का कभी नहीं खोया था। गरीब को एक आशा थी कि आदमी गलत हैं, समाज गलत आदमियों का जोड़ है। हमारे कभी धन होगा, तो सुख मिल जाएगा। जिनके पास आज धन है, हिसाब से समाज सदा ही गलत आदमियों का जोड़ रहेगा। क्योंकि उनकी यह आशा भी खो गई है। धन है, और सुख नहीं मिला। अब जो भी आदमी ठीक हो जाता है, हिंदुओं के गणित से, वह वापस भविष्य बिलकुल अंधकार है। कुछ पाने योग्य भी नहीं है। और नहीं लौटता। फिर जीने की कोई आशा भी नहीं रह गई है। कृष्ण या बुद्ध या महावीर, जैसे ही शुभ हो जाते हैं, यह उनका तो अमेरिका सर्वाधिक आत्मघात कर रहा है। अधिकतम लोग आखिरी जीवन है। फिर इस जीवन में वे वापस नहीं आते। तो शुभ अपने को मिटाने की हालत में हैं। जीकर भी क्या करें? गरीबी मिट आदमी तो जीवन से तिरोहित हो जाता है, अशुभ आदमी लौटता जाए, अशिक्षा मिट जाए, हम सोचते हैं, बीमारी मिट जाए, सभी आता है। लोग स्वस्थ हो जाएं। पर स्वस्थ होकर भी आदमी क्या करेगा? यह कारागृह, जिसको हम संसार कहते हैं, वह बुरे आदमी की मैंने सुना है, तैमूरलंग ने एक ज्योतिषी को बुलाया। तैमूरलंग को जगह है। उसमें से भला तो अपने आप छिटककर बाहर हो जाता काफी नींद आती थी। तो उसने ज्योतिषी से पूछा कि बात क्या है? है। बुरा उसमें वापस लौट आता है; और भी निष्णात होता जाता क्या मेरे तारों में, क्या मेरे भाग्य में, क्या मेरी जन्मकुंडली में कुछ है; और भी कुशल होता जाता है बुराई में। जितनी बार लौटता है, ऐसी बात है कि मुझे बहुत नींद आती है? रातभर भी सोता हूं, तो | उतना निष्णात होता जाता है। भी दिनभर मुझे नींद आती है। और यह तो बुरा लक्षण है। क्योंकि इसलिए समाज कभी शुभ हो नहीं सकेगा। यह बात निराशाजनक शास्त्रों में कहा है, इतना आलस्य तामसी प्रवृत्ति का सूचक है। लग सकती है, लेकिन तथ्य यही है। उस ज्योतिषी ने कहा कि महाराज, इससे ज्यादा स्वागत-योग्य __ और कृष्ण या बुद्ध या महावीर या जीसस की उत्सुकता समाज में कुछ भी नहीं है। आप चौबीस घंटे सोएं। यह बिलकुल शुभ लक्षण नहीं है, उत्सुकता व्यक्ति में है। क्योंकि वही बदला जा सकता है। है। शास्त्र गलती पर हैं। और व्यक्ति को अगर जीवन-क्रांति करनी है, तो उचित है कि वह तैमूरलंग को भरोसा नहीं आया। उसने कहा कि शास्त्र गलत | व्यर्थ की बातों में न पड़े। कि दहेज की प्रथा मिटानी है, इसमें लग नहीं हो सकते; तुम यह क्या कह रहे हो! उसने कहा कि शास्त्रों ने | जाए; आदिवासियों को शिक्षित करना है, इसमें लग जाए; हरिजनों आपके संबंध में लिखा ही नहीं है। आप जैसा आदमी चौबीस घंटे का सुधार करना है, इसमें लग जाए; कोढ़ी की सेवा करना है, इसमें सोए, यही सुखद है। आप जितनी देर जगते हैं, उतना ही उपद्रव | लग जाए। कुछ भी बुरे नहीं हैं ये काम, सब अच्छे हैं। लेकिन होता है। आपसे उपद्रव के सिवाय कुछ हो ही नहीं सकता। तो | आपके पास जिंदगी कितनी है? और आप इसमें लग जाएं, तो आप परमात्मा की बड़ी कृपा है कि आप सोए रहें। आपका जीवित होना समाप्त हो जाएंगे। न हरिजन मिटता है, न कोढ़ी मिटता है, न बीमार खतरनाक है। आपका मर जाना शुभ है। मिटता है, आप मिट जाएंगे। नए तरह के हरिजन पैदा हो जाएंगे। 3201
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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