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________________ * गीता दर्शन भाग-7 * उलझन है। भीम है, उसे कोई अड़चन नहीं है। वह अपनी गदा उठाए तैयार | || वासनाओं का संघर्ष था। अर्जुन उसे ले आया। खड़ा है। जब भी युद्ध शुरू हो जाएगा, वह कूद पड़ेगा। वह भी संघर्ष भारी रहा होगा। क्योंकि अर्जुन के भी चार भाई उसे लाना अज्ञानी है। लेकिन अर्जुन से भिन्न तरह का अज्ञान है। उसका चाहते थे। और स्त्री ऐसी कुछ रही होगी कि पांचों भाई उसके कारण अज्ञान सिर्फ जानकारी का अभाव है। उसे ये सवाल भी नहीं उठते | टूट सकते थे और मिट सकते थे। इसलिए पांचों ने बांट लिया है। कि क्या शुभ है, क्या अशुभ है। मारूंगा, तो पाप लगेगा कि पुण्य | कहानी तो सिर्फ ढांकने का उपाय है। होगा, ये सब सवाल भी नहीं उठते। वह बच्चे की तरह है। ___ कहानी है कि मां ने कहा कि तुम पांचों बांट लो, क्योंकि मां को अर्जुन पंडित है। अर्जुन जानता है। अर्जुन जानता है कि यह | | कुछ पता नहीं। अर्जुन ने बाहर से इतना ही कहा कि मां, देखो, क्या बुरा है, यह भला है; ऐसा करना चाहिए, ऐसा नहीं करना चाहिए। | ले आया हूं! उसने भीतर से कहा कि तुम पांचों बांट लो। यह धर्म-अधर्म का उसे खयाल है। उसकी जानकारी ही उसकी कहानी तो सिर्फ ढांकने का उपाय है। असली बात यह है कि द्रौपदी पर पांचों भाइयों की नजर है। और अगर द्रौपदी नहीं बंटती, तो ये अज्ञान अगर सिर्फ गैर-जानकारी हो, तो मनुष्य सरल होता है, | पांचों कट जाएंगे, ये पांचों बंट जाएंगे। निर्दोष होता है, बच्चों की भांति होता है। उलझन नहीं होती। मुक्त | इस द्रौपदी से सारा का सारा–अगर ठीक से समझें. तो काम नहीं हो जाता उतने से, कारागृह के बाहर भी नहीं निकल जाता, | से, वासना से, इच्छा से सारा सूत्रपात है। फिर उपद्रव बढ़ते चले लेकिन कारागृह में ही प्रसन्न होता है। उसे कारागृह का पता ही नहीं | जाते हैं। लेकिन मूल में द्रौपदी को पाने की आकांक्षा है। फिर होता। जानकारी हो, अड़चन शुरू हो जाती है। धीरे-धीरे एक-एक बात जुड़ते-जुड़ते यह युद्ध आ गया। अर्जुन की कठिनाई यह है कि उसे पता है कि गलत क्या है। आज तक अर्जुन को खयाल नहीं उठा; आखिरी चरण में ही लेकिन इतना भर पता होने से कि गलत क्या है, वासना नहीं मिट | स्मरण आया। अब तक इतनी सीढ़ियां चढ़कर जहां पहुंचा है, हर जाती। वासनाएं तो अपने ही मार्ग पर चलती हैं। और बुद्धि अलग | सीढ़ी से इस बात की सूचना मिल सकती थी। मार्ग पर चलने लगती है, दुविधा खड़ी होती है। पूरी प्रकृति शरीर जब भी आप कुछ चाहते हैं, आप युद्ध में उतर रहे हैं। क्योंकि की कुछ कहती है करने को, और बुद्धि ऊपर से खड़े होकर सोचने | आप अकेले चाहने वाले नहीं हैं, और करोड़ों लोग भी चाह रहे हैं। लगती है। व्यक्ति दो हिस्सों में बंट जाता है। यह बंटाव, यह चाह का मतलब प्रतियोगिता है. चाह का मतलब यद्ध है। जैसे ही खंडित हो जाना व्यक्ति का, यह स्प्लिट पर्सनैलिटी, दो स्वर का | मैंने चाहा, कि मैं संघर्ष में उतर गया। पैदा हो जाना, इससे दुविधा खड़ी होती है। फिर कोई निर्णय नहीं इसलिए ज्ञानियों ने कहा है कि संघर्ष के बाहर केवल वही हो लिया जा सकता। | सकता है, जिसकी कोई चाह नहीं। उसकी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। अर्जुन युद्ध तो करना ही चाहता है। सच तो यह है कि वही युद्ध वह किसी की दुश्मनी में नहीं खड़ा है। की इस स्थिति को ले आया है। कौन कहता था युद्ध करो? युद्ध पर अर्जुन को यह खयाल कभी नहीं आया। अब तक वह ठीक की इस घड़ी तक आने की भी कोई जरूरत न थी। वासनाएं तो युद्ध | शरीर के एक हिस्से को मानकर चलता रहा। आज सारी चीज के क्षण तक ले आई हैं। इस सारे युद्ध की जड़ में अर्जुन छिपा है। अपनी विकराल स्थिति में खड़ी हो गई है। इसे थोड़ा समझ लेना चाहिए, क्योंकि उससे ही गीता का अर्थ | | यह थोड़ा समझने जैसा है। भी स्पष्ट होगा। कामवासना जन्म की पर्यायवाची है और युद्ध मत्य का यह सारा युद्ध शुरू होता है द्रौपदी के साथ। द्रौपदी को अर्जुन पर्यायवाची है। और सभी कामवासना अंत में मृत्यु पर ले आती है। ले आया। दुर्योधन भी लाना चाहता था। वह सुंदरतम स्त्री रही | ऐसा होगा ही। इसलिए ज्ञानियों ने कहा है, जो मृत्यु के पार जाना होगी। न केवल सुंदरतम, बल्कि तीखी से तीखी स्त्रियों में एक।। | चाहता हो, उसे कामवासना के पार जाना होगा। काम में हमारा सौंदर्य जब तीखा होता है, तो और भी प्रलोभित हो जाता है। द्रौपदी | जन्म है और काम में ही हमारी मृत्यु है। .. तेज, अति तीव्र धार वाली स्त्री है। उसने सभी को आकर्षित किया। यह युद्ध तो आखिरी क्षण है, जब मृत्यु प्रकट हो गई। लेकिन होगा। दर्योधन भी उसे अपनी पत्नी बनाकर ले आना चाहता था। इसका बीज तो बो दिया गया उस दिन, जिस दिन द्रौपदी पर
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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