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________________ गीता दर्शन भाग-7 3 इसे नियम बना लें कि जो प्रीतिकर लगे, उसके अनुभव की | | बातें करते हो, तो तुम अपना हाथ मेरी नाड़ी पर रखते हो। कोशिश करें। जो मन को आच्छादित कर ले, उसके अनुभव की | वह जांच करता था कि जब मैं प्रेम की बात करता हूं, तो उसकी कोशिश करें। फिक्र करें कि इसे मैं भी जानने की कोशिश करूं, नाड़ी में कोई फर्क पड़ता है कि नहीं! प्रेम भी थीसिस की बात थी! क्या! उसे कुछ प्रेम में उतरने का कोई कारण नहीं था; सिर्फ जांच रहा था मेरे पास एक युवक आते थे। ध्यान पर बड़ी उत्सुकता रखते थे। | कि जब मन प्रभावित होता है, तो शरीर प्रभावित होता है कि नहीं! ध्यान के शिविरों में भी आते थे। लेकिन कभी मैंने उनको ध्यान | होता तो जरूर है। क्योंकि जब आप गहरे प्रेम में हों, तो आपकी करते नहीं देखा। दो-चार शिविर में देखा; अनेक बार मुझसे मिलने | | नाड़ी तेजी से चलेगी। जिसको आप प्रेम करते हैं, जब आप उसके आए; अनेक प्रश्न लेकर आए। प्रश्न भी अच्छे लाते थे। सुनते भी। | पास होते हैं, तो आपका पूरा शरीर ज्यादा ज्वलंत हो जाता है। खून बड़ी उत्सुकता से थे। | तेजी से बहता है। नाड़ी तेजी से चलती है। हृदय तेजी से धड़कता मैंने पूछा कि कर क्या रहे हो? उन्होंने कहा, मैं ध्यान पर शोध | | है। आप जीवित हो जाते हैं। और जब आपका प्रेमी आपसे दूर कर रहा हूं, रिसर्च कर रहा हूं। एक थीसिस लिखनी है। हटता है, तो आप मुर्दा हो जाते हैं, कुम्हला जाते हैं; सब चीजें तो यह व्यक्ति ध्यान को समझने की बड़ी चेष्टा कर रहा है, शिथिल हो जाती हैं। लेकिन ध्यान से इसे कोई प्रयोजन नहीं है। ध्यान से इसका निजी यह तो ठीक है। लेकिन उस लड़की ने ठीक ही किया। उसने कोई संबंध नहीं है। थीसिस लिखकर बात समाप्त हो जाएगी। कोई कहा, यह बात खतम हो गई। क्योंकि प्रेम कोई वैज्ञानिक जिज्ञासा युनिवर्सिटी इसको डिग्री दे देगी। बात खतम हो गई! ध्यान एक की बात नहीं है। और उसने कहा कि शक तो मुझे कई बार होता था। विषय है, जिस पर एक बौद्धिक व्यायाम करना है। लेकिन प्रयोग क्योंकि तुम बात करते-करते कुछ और भी कर रहे हो। लेकिन आज नहीं करना है। मैंने बिलकुल साफ देख लिया कि तुम मेरी नाड़ी पकड़े बैठे हो। यह करीब-करीब ऐसी हालत है, जैसे कहीं अमृत का सरोवर पहले वह लड़की समझती रही होगी कि मेरा हाथ प्रेम से पकड़े भरा हो, और कोई आदमी उस सरोवर के आस-पास खोज-बीन | हुए है, और वह उसकी नाड़ी की जांच कर रहा है! .. करता रहे कि अमृत पर उसको एक थीसिस लिखनी है और उसे अब यह आदमी जरूर ही खोज लेगा संबंध मन के और शरीर पीए न! तो उस आदमी को हम महामूढ़ कहेंगे। क्योंकि थीसिस के, लेकिन एक अनूठे अनुभव से वंचित रह जा सकता है। प्रेम से लिखने का काम तो पीकर भी हो सकता था: और पीकर ज्यादा ढंग वंचित रह जा सकता है। से होता। क्योंकि जिसे खुद नहीं जाना, उसके संबंध में हम क्या आप ध्यान में उत्सुक हो सकते हैं, एक बौद्धिक ऊहापोह की कहेंगे! जो भी कहेंगे, वह उधार होगा। और जो भी कहेंगे, वह तरह। तब आप छिलके लेकर लौट आए जहां कि आपको फल बासा और बाहर-बाहर का होगा। वह भीतर की प्रतीति नहीं है। मिल सकते थे। एक वैज्ञानिक हुआ मैक्स प्लांक, उसने अपना एक संस्मरण मेरी बात जब आप सुनते हैं और आपको अच्छी लगती है, और लिखा है। उसने लिखा है कि वह जीवशास्त्र का अध्ययन कर रहा प्रीतिकर लगती है, और उत्कंठा जगती है; इतना काफी नहीं है। इतना था और मनोविज्ञान का भी अध्ययन कर रहा था; और कोशिश कर | जरूरी तो है, क्योंकि इसके बाद कुछ और हो सकता है; लेकिन रहा था कि मनोविज्ञान में और जीवशास्त्र में क्या भीतरी संबंध है। इतना काफी नहीं है। यह केवल प्राथमिक है। दसरा कदम उठाएं। और जब मन प्रभावित होता है, तो शरीर कैसा प्रभावित होता है। विचार से अनुभव की तरफ चलें। विचार पर मत ठहर जाएं। __एक युवती से उसका प्रेम था। लेकिन एक दिन युवती एकदम | नहीं तो आप सोचते ही रहेंगे, सोचते ही रहेंगे और समाप्त हो झटके के साथ खड़ी हो गई। उसके पास बैठी थी; चांद था आकाश जाएंगे। और सोचने पर जो समाप्त हो गया, उसने जीवन को जाना में; वे दोनों बड़े प्रेम की बातें कर रहे थे। अचानक वह झटके से खड़ी ही नहीं। एक अपूर्व संपदा पास थी, वह उसे खो दिया अपने ही हो गई। और उसने कहा कि क्षमा करो; यह बात खतम; अब मुझसे | | हाथों से। और विधि आपके पास भी रखी रही, तो भी आप उपयोग दुबारा मत मिलना। मैक्स प्लांक ने कहा, बात क्या है ? उसने कहा | न कर सके! कि मैं कई दिन से अनुभव कर रही हूं कि जब भी तुम मुझसे प्रेम की | | एक रात मुल्ला नसरुद्दीन अपने घर वापस लौटा, बदहवास, 268
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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