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* प्यास और धैर्य *
पसीने से तरबतर, घबड़ाया हुआ। जल्दी से भीतर घुसकर दरवाजा | जो नियम आप देते हो, उसका मूल्य कितना है? बंद कर लिया।
ईश्वर भी चौंका; क्योंकि वह यह पूछ ही नहीं रहा है कि नियम __ पत्नी ने कहा, इतने घबड़ाए हुए हो! बात क्या है? कहां से आ | | क्या है! वह कहता है, मूल्य कितना है! तो ईश्वर ने कहा, मूल्य रहे हो? उसने कहा कि दुकान से ही लौट रहा हूं। लेकिन एक | तो बिलकुल नहीं है; मुफ्त दे रहे हैं! तो उसने कहा, देन आई विल बदमाश मिल गया। उसने मेरा चश्मा भी छीन लिया; फाउंटेन पेन | | टेक टेन। मूसा ने कहा, तो फिर हम दस ले लेंगे। जब मुफ्त ही दे भी खीसे से निकाल ली; रुपए भी खीसे से ले लिए; कोट भी उतार | | रहे हैं, तो क्या दिक्कत है। इसलिए टेन कमांडमेंट्स, दस आज्ञाएं लिया। यहां तक कि मेरे जूते उतार लिए।
| ईश्वर की! मगर वे किताब में रखी हैं। उसकी पत्नी ने कहा, और तुम तो पिस्तौल रखे हुए हो! तो आप भी मुफ्त कुछ मिल रहा हो, तो एक की जगह दस ले लेंगे। नसरुद्दीन ने कहा, वह तो भाग्य की बात कहो कि बदमाश की नजर | | कुछ करना न पड़ रहा हो, कुछ आपके जीवन में रूपांतरण न होता पिस्तौल पर नहीं पड़ी; नहीं तो क्या वह छोड़ देता!
हो, कोई क्रांति न होती हो, बैठे-ठाले कुछ मिल जाता हो, तो एक अब पिस्तौल किस लिए रखे हुए है वह!
की जगह दस ले लेंगे। लेकिन वह किताब में रखा रह जाएगा; आपको ध्यान की विधि पता है। वह रखी रह जाएगी ऐसे ही जैसे | | उसका कोई मूल्य नहीं है। पिस्तौल रखी है। उसको भी बचाने में लग जाएंगे और उसका | | आप यहां बैठकर सुन रहे हैं। आपको कुछ करना नहीं पड़ रहा उपयोग तो कभी कर ही न पाएंगे। आप क्या जानते हैं इसका मूल्य है। बल्कि घंटे, डेढ़ घंटे के लिए कुछ करना पड़ता, उससे भी आप नहीं है, क्योंकि जाना हुआ तो पड़ा रह जाएगा। जिस-जिस ज्ञान | बच गए। राहत है! सुख लगता है। को आपने जीवन बना लिया, वही बस आपके हाथ है। | इस सुख को आप व्यसन मत बना लें। अगर सुख लगता है ___ मैंने सुना है, एक बहुत पुरानी यहूदी कथा है, कि परमात्मा ने | बातों में, तो जहां से बातें आती हों, उस दिशा में यात्रा शुरू करें। जब संसार बनाया, तो उसने हिंदुओं के नेता से पूछा-शायद कृष्ण और जो मैं कह रहा हूं, वह अगर आपको भी किसी दिन दिखाई से पूछा हो—कि कुछ नियम हैं मेरे पास। ये उपयोगी होंगे। अगर पड़ सके, तभी रुकें, तभी समझें कि मंजिल आई। उसके पहले तुम चाहो, तो मैं तुम्हें नियम दे दूं। तो कृष्ण ने, या हिंदुओं के नेता | | रुकना उचित नहीं है। और यह मैं न कर सकूँगा; यह आपको खुद ने पछा कि जरा नमने के लिए: कौन से नियम हैं? तो उसने कहा ही करना पड़ेगा। कि जैसे, व्यभिचार पाप है। तो हिंदुओं के नेता ने कहा, यह बात | कोई दूसरा आपके लिए नहीं चल सकता। कोई दूसरा आपके तो ठीक होगी, लेकिन संसार से सब रस चला जाएगा। कोई | | लिए देख नहीं सकता। कोई दूसरा आपके लिए अनुभव नहीं कर उत्सुकता न दिखाई नियम लेने की।
सकता। और अच्छा ही है कि कोई दूसरा नहीं कर सकता। अन्यथा . मुसलमानों के नेता से पूछा-शायद मोहम्मद से पूछा । | आप सदा के लिए वंचित रह जाते; आप पंगु रह जाते। होगा—उन्होंने भी कहा, लेकिन पहले मैं जान लूं कि कौन से | | अगर दूसरा आपके लिए चले, तो आपके पैर नष्ट हो जाएंगे। नियम हैं, फिर लूं। तो ईश्वर ने यह सोचकर कि पहला नियम तो | और दसरा आपके लिए अनभव करे. तो आपका हृदय नष्ट हो पसंद नहीं किया गया, तो उसने दूसरा नियम बताया कि हत्या मत | | जाएगा। और दूसरा आपके लिए देख सके, तो आपकी आंखों की करो। तो मोहम्मद ने कहा, यह बात तो बिलकुल ठीक है। लेकिन | | कोई जरूरत नहीं। और दूसरा अगर आपके लिए आत्म-अनुभव अगर हत्या बिलकुल न की जाए, तो दूसरे हमारी हत्या कर देंगे। | कर सके, तो आपकी आत्मा सदा के लिए खो जाएगी। और दुष्टों के हाथ में संसार चला जाएगा। और फिर बिना युद्ध के | | इसलिए परमात्मा के गहरे नियमों में से एक नियम यह है कि शांति कैसे स्थापित हो सकती है?
दूसरा आपके लिए, जो भी मूल्यवान है, वह नहीं कर सकता। वह ऐसा ईश्वर घूमता रहा। आखिर में वह मूसा को मिला, यहूदियों आपको ही करना पड़ेगा। क्योंकि करने से ही विकास होता है। के नेता को मिला। और जैसे कि यहूदी होते हैं, व्यापारी; ईश्वर भी करने से ही आप निर्मित होते हैं। करने से ही आपका वास्तविक चौंका। क्योंकि उसने और लोगों से पूछा था, सब ने नमूने मांगे। जीवन और जन्म होता है। मूसा ने पूछा, हाऊ मच इट कॉस्ट्स, इसकी कीमत कितनी है? वह
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