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________________ * प्यास और धैर्य * पर निराश किससे होना है? यह सोचकर सुनना बंद कर दें, तो वृक्ष खड़े हैं, उनको देखते रहें। लेकिन प्यास न बुझेगी। भी कुछ फर्क नहीं हो जाएगा। सुनने से नहीं हुआ, तो सुनना बंद और नदी कुछ भी नहीं कर सकती आपकी प्यास बुझाने को। करने से कैसे होगा! फर्क करने को कुछ आपको अपनी तरफ आप झुकें, चुल्लू से पानी भरें और पीएं। और आपकी तैयारी हो, सोचना पड़ेगा। सुनने में बड़ी सुगमता है, क्योंकि आपको कुछ तो पीने की क्या बात है, नदी में डूब सकते हैं, नदी के साथ एक करना ही नहीं है; सिर्फ बैठे हैं। हो सकते हैं। लेकिन सिर्फ नदी की मौजूदगी से यह नहीं हो जाएगा; मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं कि आपकी किताब पढ़ने से आपको कुछ करना पड़ेगा। तो आपको सुनने में ज्यादा आनंद आता है! क्योंकि पढ़ने में कम आप कहते हैं, यहां सुनते हैं, उत्कंठा से सुनते हैं। से कम आपको थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है, पढ़ना पड़ता है, उतना यह कुछ करना नहीं है। इस नदी की धारा में से कुछ चुनना कष्ट! सुनने में वह भी कष्ट नहीं है। और सुनने में मन लीन हो | पड़ेगा, जो आप पीएं। कोई विचार जो आपको लगता है सार्थक है, जाता है, तो उतनी देर को आपको शांति भी मिलती है। उतनी देर | तो उसको सार्थक ही मत लगने दें, उसको सार्थक बनाएं। कोई को कम से कम दूसरे उपद्रव आप नहीं कर पाते। कम से कम उतनी | | विचार आपको लगता है कीमती है, तो सिर्फ ऐसा सोचते ही मत देर को आपका मन व्यस्त हो जाता है। तो मन की जो निरंतर की रहें कि कीमती है। अगर कीमती है, तो उसका उपयोग करें, उसको चलती धारा है, वह नहीं चल पाती। चखें, उसका स्वाद लें। उसको पी जाएं; कि वह आपके खून में यह सब ठीक है, लेकिन इससे आप बदल नहीं जाएंगे। और | बहने लगे, आपकी हड्डियों के साथ एक हो जाए। अगर कोई सोचता हो कि सुनने से बदल जाएंगे, तो गलती सोचता __ अगर विचार इतना प्रीतिकर लगता है, तो जिस दिन वह आपका है। वह तो कभी बदलेगा ही नहीं। अगर बदलना है, तो सुनने से | अंतस बन जाएगा, उस दिन कितनी मधुरिमा पैदा होगी, इसकी सूत्र खोजे जा सकते हैं, जो बदलने के काम आ जाएं। सिर्फ सुनने आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जो मैं कह रहा हूं, अगर वह से कोई नहीं बदलेगा। | प्रीतिकर लगता है, तो जहां से वह कहना निकलता है, उस स्रोत वह करीब-करीब बात, पुरानी कहावत है, कि आप घोड़े को | | पर जब आप डूब जाएंगे, एक हो जाएंगे, तो आपके जीवन में जाकर पानी दिखा सकते हैं, पिला नहीं सकते। घोड़े को ले जाकर प्रकाश ही प्रकाश हो जाएगा। नदी के किनारे खड़ा कर सकते हैं। पिलाएंगे कैसे? पानी तो घोड़े लेकिन खतरा यही है कि बात अच्छी लगे, तो हम उसे स्मरण को ही पीना पड़ेगा। वही मैं कर सकता हूं, घोड़े को नदी के किनारे कर लेते हैं, वह हमारी बुद्धि में समा जाता है। उसका हम उपयोग खड़ा कर सकता हूं; पिला नहीं सकता। भी करते हैं, तो एक ही उपयोग, किसी और से बात करने के लिए अब आप कहें कि घोड़े की तरह मैं खड़ा हूं इतने दिन से और उपयोग कर सकते हैं। किसी और को बता देंगे; किसी और को प्यास मेरी अभी तक नहीं बुझी! समझा देंगे; बस इतना ही उपयोग है। नदी बह रही है, घोड़ा खड़ा है। अब क्या करना है? और करना | | तो जो सुना है, उसे आप ज्यादा से ज्यादा अगर कुछ करेंगे, तो किसको है? वह जो घोड़े को नदी तक ले आया है, उसको कुछ | | वाणी बना लेंगे। वह आपका जीवन नहीं बनेगा। और जीवन न करना है कि घोड़े को कुछ करना है? | बने. तो सनने का कोई सार नहीं। वह व्यर्थ ही गया। जन्मों तक खड़े रहें। नदी बहती रहेगी। नदी हर पल बह रही है। तो अगर आपको लगता हो कि सुनते हैं और कहीं जा नहीं लेकिन थोड़ा झुकना पड़ेगा घोड़े को। थोड़ी गर्दन झुकाकर पानी | | रहे-कैसे जाएंगे? जाना आपको पड़ेगा। जाना शुरू करें। तक मुंह को ले जाना पड़ेगा। __ और एक कदम भी उठाएं, तो भी बड़ा है। क्योंकि पहला कदम तो मैं जब बोल रहा हूं, कुछ कह रहा हूं, तो नदी आपके पास | उठ जाए, तो दूसरे के उठने में आसानी हो जाती है। और एक कदम बह रही है। आप बैठे रहें किनारे पर। कितने ही दिन तक बैठे रहें। से ज्यादा तो एक समय में कोई उठा नहीं सकता। एक कदम उठा नदी को देखने का मजा लेते रहें। नदी के बहने की ध्वनि आ रही | लिया, तो पूरी मंजिल भी एक अर्थ में हल हो गई। क्योंकि है, उसका संगीत सुनते रहें। नदी पर सूरज की किरणें बिछी हैं, नदी एक-एक ही कदम उठाकर हजारों मील की यात्रा पूरी हो जाती है। सुंदर है, उसके सौंदर्य को देखते रहें। नदी के पास पक्षी उड़ रहे हैं, लेकिन कदम उठाएं। 267
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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