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* गीता दर्शन भाग-7 *
किसी को दुखी नहीं करना चाहता। सिर्फ दुखी आदमी ही दूसरे को | | उचित है; यह इसके कर्म का सहज परिणाम है। और यह अशांत दुखी करना चाहता है।
रहे, पीड़ा भोगे, तो शायद हत्या से बचेगा। तो जब भी आप किसी को दुखी करना चाहते हों, समझना कि | | चोर को शांति मिलनी उचित नहीं है। उसके हृदय की धड़कन आप दुखी हैं। आनंदित आदमी किसी को दुखी नहीं करना चाहता। बढ़ी ही रहनी चाहिए। क्योंकि जैसे ही उसको शांति मिलती है, वह आनंदित आदमी चाहता है, सभी आनंदित हो जाएं। आनंदित | दुबारा चोरी करेगा। और करेगा क्या? बुरे आदमी को शांति मिलनी आदमी आनंद को बांटना और फैलाना चाहता है। जो हमारे पास उचित नहीं है। यह ऐसे ही है, जैसे बुरे आदमी को स्वास्थ्य मिलेगा, है, वही हम बांटते हैं; उसी को हम फैलाते हैं।
तो वह करेगा क्या? इसलिए बुद्ध ने मुदिता को अनिवार्य कहा। क्योंकि जब तक तुम ___ जीसस के जीवन में एक बड़ी प्यारी कथा है। और वह यह है कि प्रसन्नचित्त न हो जाओ, तब तक तुम खतरनाक हो। जीसस एक गांव से गुजरे। उन्होंने एक आदमी को एक वेश्या के
दुखी आदमी खतरा है। वह किसी को सुखी नहीं देखना चाहेगा। पीछे भागते हुए देखा। तो उन्होंने उस आदमी को रोका, क्योंकि दुखी आदमी चाहता है कि सब लोग मुझसे ज्यादा दुखी हों, तभी चेहरा उसका पहचाना हुआ मालूम पड़ा। और जीसस ने कहा कि उसको लगता है कि मैं थोड़ा सुखी हूं, तुलना में।
अगर मैं भलता नहीं है. तो जब मैं पहली दफा आया. तम अंधे थे। और चौथा बुद्ध ने कहा, उपेक्षा, इनडिफरेंस। बुद्ध ने कहा, जब और मेरे ही स्पर्श से तुम्हारी आंखें वापस लौटीं। और अब तुम ऐसी उपेक्षा सध जाए कि जीवन हो या मृत्यु, बराबर मालूम पड़े। आंखों का क्या कर रहे हो! वेश्या के पीछे भाग रहे हो? .. सुख हो या दुख, समान मालूम पड़े। हानि हो या लाभ, सफलता ___ उस आदमी ने कहा, हे प्रभु, मैं तो अंधा था। तुमने ही मुझे आंखें हो या विफलता, कोई चिंता न रह जाए। इन चार ब्रह्मविहारों के सध दीं। अब मैं इन आंखों का और क्या करूं? आंखें रूप देखने के जाने के बाद साधक योग में प्रवेश करे।
लिए हैं। और अगर मैं तुम्हारे पास आंखें मांगने आया था, तो इसलिए पतंजलि ने भी आठ यम-नियम की पहले ही व्यवस्था | इसीलिए मांगने आया था कि आंखों से रूप देख सकूँ। दी है। और इसके पहले कि धारणा, ध्यान और समाधि के अंतिम | | जीसस ने सोचा भी नहीं होगा कि जिसको आंखें दी हैं, वह तीन चरण आएं, पांच चरणों में हृदय का पूरा रूपांतरण है। वे जो आंखों का क्या करेगा। सभी आदमी आंखों का एक ही उपयोग पांच प्राथमिक चरण हैं, जब तक उनसे हृदय का रूपांतरण न होता | | नहीं कर सकते। उपयोग तो आदमियों पर निर्भर होगा। आंखें तो हो, तब तक तीन चरण, पतंजलि राजी नहीं हैं।
उपकरण हैं। __ अभी पश्चिम में पूरब से कई कुंजियां पहुंच रही हैं। जैसे महेश तो अगर मंत्र-जाप से बेईमान को शांति मिले, तो वह बेईमानी योगी ध्यान की एक पद्धति पश्चिम ले गए। तो उन्होंने बाकी सारे | में और कुशल हो जाएगा। खतरनाक है यह बात। और मंत्र-जाप यम-नियम अलग कर दिए। सिर्फ मंत्र-योग। उसका परिणाम | से अगर धन की दौड़ में कोई आदमी लगा है, उसको शांति मिले, होता है; लेकिन खतरनाक है। आग के साथ खेलना है। और | | तो उसकी धन की दौड़ और कुशल हो जाएगी; और क्या होगा! लोग जल्दी उत्सुक होते हैं, क्योंकि न कोई नियम है, न कोई | | और महेश योगी से लोग पूछते हैं, तो वे कहते हैं, बिलकुल साधना है। बस, एक बीस मिनट बैठकर एक मंत्र-जाप कर लेना ठीक है। तुम जहां भी जा रहे हो, तुम जो भी कर रहे हो, उसमें ध्यान है: पर्याप्त है। तम चोर हो, तो अंतर नहीं पड़ता: तम बेईमान हो. से सफलता मिलेगी। तो अंतर नहीं पड़ता। तुम हत्यारे हो, तो अंतर नहीं पड़ता। बीस | निश्चित सफलता मिलेगी। लेकिन तुम कहां जा रहे हो, यह पूछ मिनट मंत्र-जाप कर लेना है।
लेना जरूरी है। तुम क्या कर रहे हो, यह पूछ लेना जरूरी है। सभी उस मंत्र-जाप से शांति मिलती है, क्योंकि मंत्र मन को संगीत सफलताएं सफलताएं नहीं हैं। बुरे काम में विफल हो जाना बेहतर से भर देता है। लेकिन ध्यान रहे, हत्यारे को शांति मिलनी उचित | | है। बुरे काम में सफल हो जाना बेहतर नहीं है। तो सफलता अपने नहीं है। क्योंकि हत्यारे की पीड़ा क्या है? कि उसने हत्या की है! आप में कोई मूल्य नहीं है। यह उसकी पीड़ा है; यह अपराध उसके ऊपर है। इसको अगर लेकिन यह परिणाम पश्चिम में घटित होगा; क्योंकि कोई भी शांति मिल जाए, यह दूसरी हत्या करेगा। इसको अशांत होना यम और नियम के लिए तो राजी नहीं है। लोग चाहते हैं, जैसे वे
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