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* एकाग्रता और हृदय-शुद्धि *
सिर्फ एक विचार सतत किसी की तरफ फेंकने की जरूरत है। उसके से गलत लोगों के पास भी सूत्र पहुंच गए हैं। कभी मोह के कारण विचार बदलने शुरू हो जाते हैं।
| पहुंच जाते हैं; कभी भूल-चूक से भी पहुंच जाते हैं। कभी बाप मरता और अगर आप कोई अशुभ काम करवाना चाहें, तो कोई है और सिर्फ मोह के कारण कुछ जानता है, वह बेटे को दे जाता है। अड़चन नहीं है। उसकी जेब में हाथ डालकर उसके नोट निकालने बेटा योग्य नहीं भी होता है तो भी। कभी गुरु मरता है और सिर्फ इस की जरूरत नहीं है। उससे ही कहा जा सकता है कि निकालो नोट आशा में दे जाता है कि आज नहीं कल शिष्य योग्य हो जाएगा। और सड़क पर गिरा दो। वह खुद ही रूमाल निकालने के बहाने | । कई बार सूत्रों की चोरी भी हो जाती है। धन की ही चोरी नहीं हो रूमाल के साथ नोट भी गिरा देगा। और वह सोचेगा कि भूल से सकती, सूत्रों की भी चोरी हो सकती है। गिर गया।
हिंदुस्तान में बहुत दिन तक वैसा हुआ। बौद्धों के पास कुछ सूत्र जीवन के गहन में प्रवेश किया जा सकता है एकाग्रता के सेतु | थे, जो हिंदुओं के पास नहीं थे। तो हिंदू बौद्ध भिक्षु बनकर वर्षों से। शुभ भी किया जा सकता है, अशुभ भी किया जा सकता है। | तक बौद्ध गुरुओं की शरण में रहे, ताकि कुछ सूत्र वहां से पाए जा इसलिए एकाग्रता की कला किसी शास्त्र में लिखी हुई नहीं है। और | | सकें। कुछ सूत्र हिंदुओं के पास थे, जो जैनों या बौद्धों के पास नहीं जो भी लिखा हुआ है, उसको आप वर्षों करते रहें, तो भी एकाग्र थे। तो जैन और बौद्ध, हिंदू बनकर वर्षों तक हिंदू गुरुओं की शरण न होंगे।
| में रहे. ताकि कहीं से कछ पाया जा सके। और जैसे ही उन्होंने पा इसलिए बहुत लोग मेरे पास आते हैं; वे कहते हैं कि हम वर्षों लिया, वह दूसरी परंपरा को दे दिया गया। से एकाग्रता साध रहे हैं, लेकिन कुछ हो नहीं रहा है! वे किताब हजारों साल से खोज चलती है। उस खोज में ठीक और गलत पढ़कर साध रहे हैं। कभी होगा भी नहीं। थोड़े दिन में थक जाएंगे। | सब तरह के लोग लगे हुए हैं। किताब भी फेंक देंगे, एकाग्रता को भी भूल जाएंगे।
रासपुतिन ने भी सूत्र खोज लिए। और मनुष्य तो शक्तिशाली वह एकाग्रता तभी कोई उनको बता सकेगा, जब पाया जाएगा था। क्योंकि सूत्रों से ही कुछ नहीं होता। आपको अगर कुंजी भी दे कि उनका हृदय उस शुद्धि में है कि अब वे किसी को नुकसान नहीं दी जाए, तो आप इतने कमजोर हैं कि कुंजी हाथ में रखे बैठे रहेंगे, पहुंचा सकते हैं। बच्चों के हाथ में तलवार नहीं दी जा सकती। और ताले तक भी कुंजी नहीं पहुंचाएंगे। या भरोसा ही न करेंगे कि कुंजी जो दे, वह आदमी मंगलदायी नहीं है।
| खोल भी सकती है कुछ। या कुंजी को कुछ और समझते रहेंगे। या रासपुतिन यां दुर्वासा, या उस तरह के लोग शक्तिशाली लोग
जहां ताला नहीं
कंजी लगाते रहेंगे। हैं। अदम्य उनके पास ऊर्जा है; लेकिन हृदय की शुद्धि नहीं है। | लेकिन रासपतिन अथक चेष्टा किया: और उसने कछ पाया
रासपुतिन जैसे लोग कैसे सूत्र खोज लेते हैं? रासपुतिन भटका | और उसे पाकर उसने श्रम भी किया उस पर। और एक बड़ी अनूठी है। जैसे गुरजिएफ सूफी फकीरों, लामाओं, ईरान, तिब्बत, भारत, | | क्षमता बुराई की उसने पैदा कर ली। रासपुतिन प्रतीक बन गया इस मिस्र, सब जगह जैसे गुरजिएफ भटका कोई बीस साल तक सूत्रों | सदी में बुरे से बुरे आदमी का। लेकिन बड़ा शक्तिशाली था। की तलाश में, वैसे ही रासपुतिन भी भटका है। और आज की| ध्यान रहे, हृदय की शुद्धि अत्यंत अपरिहार्य है। नैतिकता इतनी कमजोर है कि जिनको आप साधारणतः साधु भी | इसलिए बुद्ध ने तो अपने शिष्यों को पहले चार ब्रह्मविहार साधने कहते हैं. वे भी खरीदे जा सकते हैं। और छोटी-मोटी बातें लीक
| को कहा है। जब तक ये चार ब्रह्मविहार न सध जाएं-ब्रह्मविहार, आउट हो जाती हैं।
| जब तक ब्रह्म में इनके द्वारा विहार न होने लगे तब तक कोई रासपुतिन भटका तलाश में कि कहां से सूत्र मिल सकते हैं। और | | योगिक साधना नहीं करनी है। तो करुणा पहले सध जाए; मैत्री पहले उसने जरूर कहीं से सूत्र खरीद लिए। उसने अथक मेहनत की। सध जाए; मुदिता पहले सध जाए; उपेक्षा पहले सध जाए।
और वर्षों के श्रम के बाद उसने कुछ रास्ते निकाल लिए। कुछ | ये चारः करुणा, मैत्री, मुदिता, उपेक्षा। क्योंकि जिसकी करुणा छोटी-मोटी कुंजियां उसके हाथ में आ गईं। और उसने उनका | | गहन है, वह किसी को नुकसान न पहुंचा सकेगा। जिसकी मैत्री की उपयोग किया।
भाव-दशा है, उसके लिए कोई शत्रु न रह जाएगा। और मुदिता का आज भी कुछ लोगों के पास छोटे-मोटे सूत्र हैं। अनेक कारणों अर्थ है, प्रफुल्लता, प्रसन्नता। जो प्रसन्न है और प्रफुल्ल है, वह
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