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________________ * गीता दर्शन भाग-7 * हाई-वे है। उस पर आप चल रहे हैं। को नाराज देखकर समझेगा कि यह आदमी योग्य नहीं है। इसको वे ही संत पुरुष आपके समर्पण में सफल हो पाते हैं, आपको | अभी ज्ञान नहीं हुआ। समर्पण करवाने में, जो आपकी कसौटी पर बंधने को राजी नहीं हैं। ___ क्राइस्ट इतने नाराज हो गए कि उन्होंने अपना कोड़ा हाथ में उठा लेकिन एक बड़े मजे की घटना घटती है, कि जैसे ही वैसा संत पुरुष | लिया, और यहूदियों के मंदिर में प्रवेश कर गए। और उन्होंने चल बसता है, उसके जीवन का ढंग उसके भक्तों के लिए आगे पुरोहितों को चोट मारी और जो ब्याज लेने वाले दुकानदार वहां बैठे आने वाले दिनों में फिर कसौटी बन जाता है। थे, उनके तख्ते उलट दिए, और उनको खदेड़कर बाहर कर दिया। महावीर नग्न खड़े हैं। यह नग्नता उस वक्त अड़चन की बात जो बुद्ध को मानता है आधार, वह कहेगा, यह आदमी थी। और जिन्होंने इस नंगे आदमी को समर्पण किया, वे क्रांतिकारी | क्रांतिकारी हो सकता है; लेकिन अभी शांत नहीं हुआ है। लोग थे। उन्होंने बडी हिम्मत जटाई होगी। लेकिन उसके बाद. । लेकिन जिसने क्राइस्ट को आधार माना है और उनके प्रेम में जो महावीर की मृत्यु के बाद, उन क्रांति पुरुष, जो उनके भक्त बने थे, | जीया है और जिसने उनको समर्पण किया है, वह बुद्ध को देखकर उनके बच्चे और बेटे, उनकी कोई क्रांति नहीं है। उनको अगर आप कहेगा, यह शांति निर्जीव है; यह आदमी नपुंसक है। जहां इतनी बुद्ध के पास ले जाएं, तो वे देखते हैं और सोचते हैं कि यह आदमी कठिनाई है समाज में, वहां यह चुपचाप वृक्ष के नीचे बैठा हुआ है! कपड़े पहने हुए है, इसलिए संत नहीं हो सकता। इसलिए उनका जहां इतनी पीड़ा, इतना दुख, इतनी दरिद्रता है, वहां इसकी शांति समर्पण बुद्ध के लिए नहीं होगा। में कुछ भी क्रांति पैदा नहीं होती, तो इसकी शांति का कोई भी मूल्य इसलिए अगर जैन को आप राम के मंदिर में ले जाएं, तो सिर नहीं है। नहीं झुका सकता। क्योंकि यह कैसा भगवान, जो गहनों से सजा कैसे कसौटी खोजिएगा? क्या रास्ता है? महावीर लात मार हुआ खड़ा है! और यह कैसा भगवान, जिसकी सीता पास में है! देते हैं धन पर; जनक साम्राज्य में सिंहासन पर बैठे हैं। दोनों बुद्ध यह असंभव है। तसल्ली नहीं होती है। पुरुष हैं। इसलिए जैन राम को भगवान नहीं मान सकता है। कोई उपाय प्रत्येक बुद्ध पुरुष अनूठा है, इसलिए कोई कसौटी बनती नहीं। नहीं उसके मन में मानने का। उसकी अपनी कसौटी है। और कोई सार निचोड़ा नहीं जा सकता है कि कैसे हम नापें! और नापने कसौटी उसने महावीर से ले ली है। लेकिन महावीर खुद अत्यंत वाला कभी नहीं सोचता कि मैं कहां हूं? कैसे मैं नापूंगा? क्रांतिकारी व्यक्ति थे। और जो लोग उनसे राजी हुए थे, उन्होंने किनारे पर आप खड़े हैं, और हिंद महासागर की गहराई को समर्पण किया था। नापने की कोशिश कर रहे हैं! उस गहराई में उतरना पड़ेगा। जमीन इसलिए हर बुद्ध पुरुष के पास समर्पित लोग इकट्ठे होते हैं, पर आप बैठे हैं, और एवरेस्ट की ऊंचाई नापने की कोशिश कर लेकिन उसकी मृत्यु के बाद परंपरा बन जाती है, लीक बन जाती| | रहे हैं। उस ऊंचाई पर चढ़ना पड़ेगा। है। फिर लीक से लोग चलते चले जाते हैं। फिर सबके पास अपनी | | बुद्ध हुए बिना बुद्धों को पहचानने का कोई उपाय नहीं। तसल्ली धारणाएं, मापदंड होते हैं। | कैसे होगी? तसल्ली कभी किसी को नहीं हुई है। अगर आप आपका कोई मापदंड होगा, इसलिए पूछते हैं, तसल्ली कैसे | तसल्ली के लिए रुके हैं, तो सदा ही रुके रहेंगे। करें? क्या है आपके पास मापदंड? कोई यंत्र नहीं है, जिससे जाना हिम्मत करें। और जहां थोड़ा-सा भी आकर्षण मालूम होता हो, जा सके कि कौन व्यक्ति जाग गया, कौन प्रबुद्ध हुआ, किसका मत रुकें कि जब सौ प्रतिशत तसल्ली होगी, तब छलांग लेंगे। वैसा ज्ञान प्रज्वलित हुआ। कौन हो गया कृष्ण, कौन हो गया क्राइस्ट, | कभी भी नहीं होगा। तो जहां मन आकर्षित होता हो और जिस व्यक्ति कोई जांचने का उपाय नहीं है, कोई व्यवहार की कसौटी नहीं है। के द्वार से आपको किसी अज्ञात की हवा का हलका-सा झोंका भी क्योंकि दुनिया में सैकड़ों बुद्ध पुरुष हुए हैं, सबका व्यवहार लगता हो; जिसकी उपस्थिति में आपके भीतर ऊंचाइयों के द्वार अलग-अलग है: सबकी निजता है, सबका व्यक्तित्व है। खलते हों: नए स्वप्न जगते हों. जिसकी मौजदगी आपको बदलती हम सोच भी नहीं सकते कि बुद्ध नाराज हों। लेकिन क्राइस्ट हो; जिसके पास स्वाद आता हो किसी अनजान, अज्ञात का; वहां नाराज होते हैं। तो जिसने बुद्ध को कसौटी मान लिया, वह क्राइस्ट | साहस करें और तसल्ली की फिक्र मत करें। गणित मत बिठाएं। 216
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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