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________________ * गीता दर्शन भाग-7 * जगत है। उस विराट जगत में मैं एक छोटा-सा कंपित होता हुआ | इन पत्रों को सम्हालकर रखना। इसमें नंबर एक का जो पत्र है, वह जीवन-कण हूं; केंद्र मैं नहीं हूं। | तू तब खोलना, जब तेरी कोई योजना इतनी असफल हो जाए कि शरणागति सहज हो जाएगी। और अगर कोई परमात्मा न दिखाई तेरा तख्ता डांवाडोल हो उठे। और दूसरा तब खोलना, जब कि कोई पड़ता हो, कोई ईश्वर की प्रतीति न होती हो, तो शून्यता सध जाएगी। | भरोसा ही न रह जाए तेरे बचने का, सब डूबने की हालत हो जाए दोनों के परिणाम एक हैं। या तो शून्यता सध जाए या शरण-भाव | और तुझे उतरने के सिवा कोई चारा न रहे, तब तू दूसरा खोलना। आ जाए। आपका मिटना जरूरी है। जैसे ही आप खोते हैं, वैसे ही जब खुश्चेव असफल हुआ...। जीवन का सत्य प्रकट हो जाता है। और सभी राजनीतिज्ञ असफल होते हैं। अब तक कोई राजनीतिज्ञ जमीन पर सफल नहीं हुआ। होंगे भी नहीं। क्योंकि सफलता से राजनीति का कोई संबंध भी नहीं है। दूसरा प्रश्नः अपने स्रोत की ओर लौटने के लिए | समस्याएं बड़ी हैं, और आदमी का अहंकार भर उसे खयाल देता प्राइमल स्क्रीम का होना आपने जरूरी बताया। पर हम है कि मैं हल कर लूंगा। समस्याएं विराट हैं। किसी से हल नहीं कैसे पहचानेंगे कि कौन-सी रेचन-प्रक्रिया वांछित होतीं। पर थोड़ी देर को यह वहम भी मन को बड़ा सुख देता है, प्राइमल स्क्रीम है? | अहंकार को बड़ी तृप्ति देता है कि मैं हल करने की कोशिश कर | रहा हूं। यह खयाल भी कि सारी समस्याओं के हल मुझ पर निर्भर हैं और लोगों की आशा मुझ पर लगी है, काफी सुख देता है। यापको पहचानने की जरूरत ही न पड़ेगी। उसके बाद जब खुश्चेव की योजनाएं असफल हुईं, तो उसने मजबूरी में Oil आप तत्क्षण दूसरे हो जाएंगे। आप बीमार हों, तो आप पहला पत्र खोला। उस पहले पत्र में स्टैलिन ने लिखा था कि सब कैसे पहचानते हैं जब आप स्वस्थ हो जाते हैं? कोई जिम्मेवारी मेरे सिर पर थोप दे। उपाय है आपके पास पहचानने का? नहीं; बीमारी जाती है, तो | __यह पुरानी तरकीब है राजनीतिज्ञों की कि जो ताकत में नहीं हैं, आप तत्क्षण अनुभव करते हैं कि स्वस्थ हो गए। जब आपका | | जो पीछे ताकत में थे, जो मर गए हैं, उन पर सारी जिम्मेवारी थोप सिरदर्द खो जाता है, तो आप कैसे पता लगा पाते हैं कि अब सिरदर्द | | देना कि उनके कारण...। नहीं है और सिर ठीक हो गया? | खश्चेव ने वही किया। थोडे दिन नाव और चली। फिर नाव के प्राइमल स्क्रीम का जो रेचन है, जो कैथार्सिस है, जिस क्षण हो डूबने के दिन फिर आ गए। तब उसने दूसरा पत्र खोला। दूसरे पत्र जाएगी, उसी क्षण आप फूल की तरह हलके हो जाएंगे, जैसे सारा | | में स्टैलिन ने लिखा था कि अब तू भी दो पत्र लिख। बोझ खो गया। बोझ है भी नहीं आप पर, सिर्फ आपको खयाल है। __ आदमी की बड़ी से बड़ी समस्या है और वह यह कि बिना पर इस बोझ को आप खींचते हैं, क्योंकि बिना बोझ के अहंकार | | समस्याओं के आपका अहंकार निर्मित नहीं हो सकता। लोग कहते नहीं चल सकता। हैं, हम कैसे शांत हों! लेकिन वे शांत होना नहीं चाहते। क्योंकि इसलिए जितना अहंकारी आदमी हो, उतना बड़ा बोझ ले लेता अगर आप शांत होंगे, तो आपका अहंकार खड़ा कैसे होगा? बड़ी है। अहंकारी हो, तो राष्ट्रपति हो जाना जरूरी है, प्रधानमंत्री हो समस्याएं चाहिए, चुनौती चाहिए, संघर्ष चाहिए, उसके मुकाबले जाना जरूरी है। क्योंकि पूरे मुल्क का बोझ चाहिए, पूरी पृथ्वी का अहंकार खड़ा होगा। बोझ चाहिए. तब अहंकार को लगता है कि मैं कछ हैं। हालांकि अहंकार को बडा करने के लिए लोग समस्याएं खडी करते हैं। कुछ राजनीतिज्ञ कर नहीं पाते हैं। बोझ को घटाते हैं, ऐसा लगता आप भी खड़ी करते हैं। और अगर दो-चार दिन कोई समस्या न नहीं, बढ़ाते भला हों। लेकिन बड़ा बोझ लेकर उन्हें अनुभव होता | | हो, तो बड़ी बेचैनी शुरू हो जाती हैं। खाली लगते हैं। कुछ करने है कि हम कुछ हैं। को नहीं सूझता। पृथ्वी पर होना न होना बराबर मालूम पड़ता है। __ मैंने सुना है कि स्टैलिन ने मरने के पहले खुश्चेव को दो पत्र जिंदा अगर हैं, तो कुछ उपद्रव चाहिए। जितना ज्यादा उपद्रव, उतने दिए। और कहा कि जब मैं मर जाऊं और तू ताकत में आ जाए, तो आप जिंदा मालूम होते हैं। 202
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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