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संकल्प-संसार का या मोक्ष का *
तुम अब मत हिलो। वैसी धारणा मूढ़तापूर्ण है।
रात उत्तेजित हो जाते हैं। लेकिन अस्तित्व एक है। दर, अरबों प्रकाश वर्ष दर जो तारे हैं. पागलों के लिए पराना शब्द है. चांदमारा। अंग्रेजी में शब्द है. उनका भी हाथ आपके बगीचे में हिलने वाले पत्ते में है। उनके बिना लूनाटिक। लूनाटिक लूनार से बना है। लूनार का मतलब चांद है। ये पत्ते नहीं हिल सकते। .
पागलपन में चांद का हाथ है। समुद्र में लहर उठती है, चांद का हाथ उसमें है। चांद के बिना और अगर पागलपन में चांद का हाथ है, तो बुद्धिमत्ता में भी वह लहर नहीं उठ सकती। चांद में रोशनी है, क्योंकि सूरज का हाथ चांद का हाथ होगा। और अगर बुद्ध को पूर्णिमा की रात बुद्धत्व उसमें है। चांद के पास अपनी कोई रोशनी नहीं है। सूरज से उधार प्राप्त हुआ, तो चांद के हाथ को इनकार नहीं किया जा सकता। प्रतिबिंब है, प्रतिफलन है। चांद से सागर हिलता है। और जब सब जुड़ा है, सब संयुक्त है। हम अलग-अलग नहीं हैं। सागर हिलता है, तो आपके भीतर भी कुछ हिलता है। क्योंकि सारा शरणागति का अर्थ है, इस तथ्य को समझ लेना कि मेरे जीवन जीवन सागर से
| का केंद्र मेरे भीतर नहीं है, अस्तित्व में है। फिर उस केंद्र को भक्त आपके भीतर पचहत्तर प्रतिशत सागर का पानी है। आप पचहत्तर भगवान कहता है; ज्ञानी ब्रह्म कहते हैं। जो बहुत तार्किक ज्ञानी हैं, प्रतिशत सागर हैं। और आपके भीतर जो जल है, उसका स्वाद वे सत्य कहते हैं। यह सब शब्दों का फासला है। क्या आप कहते ठीक सागर के जैसा स्वाद है। उतनी ही नमक की मात्रा है, उतना हैं, यह सवाल नहीं है। अपने से बाहर केंद्र को समझ लेना ही खारा है, उतने ही रासायनिक द्रव्य हैं उसमें। मछली ही सागर शरणागत हो जाना है। में नहीं जीती, आप भी सागर में जीते हैं। फर्क इतना है कि मछली और जब केंद्र मेरे भीतर नहीं, तो अकड़ किस बात की है? जब के चारों तरफ सागर है; आपके भीतर सागर है। आपके भीतर | मैं सिर्फ एक लहर हूं, और खुद सागर नहीं हूं, तो अकड़ किस बात नमक कम हो जाए, आपकी मृत्यु हो जाएगी। ज्यादा हो जाए, आप | की है? इतना अहंकार किस बात का है? अपने आपको इतना अड़चन में पड़ जाएंगे। ठीक सागर की जितनी मात्रा है, उतनी ही समझ लेना पागलपन है। ठीक से जो अपने को समझेगा, वह शून्य आपके भीतर होनी चाहिए।
समझेगा। गलत जो अपने को समझेगा, वह अपने को बहुत कुछ वह जो बच्चा पहली दफा मां के गर्भ में पैदा होता है, तो मां के | समझेगा। गर्भ में ठीक सागर की स्थिति हो जाती है। ठीक सागर जैसे पानी तो जितना ज्यादा आप अपने को समझते हों, उतने ही कम में ही बच्चे का पहला जन्म होता है। बच्चा पहले मछली की तरह धार्मिक होने की संभावना है। जितना कम आप समझते हों अपने बड़ा होता है।
आपको, उतने धार्मिक होने की संभावना ज्यादा है। और जिस दिन जब सागर हिलता है, तो आपके भीतर भी कुछ हिलता है। अगर | आप समझ लें कि आप शून्य हैं, उस दिन आप स्वयं भगवान हैं। सागर के पास बैठकर आपको सुख मालूम होता है, तो आपने कभी शून्य होते ही शरणागति घटित हो जाती है। सोचा नहीं होगा, क्यों? वह जो सागर का कंपन है, जीवन है, वह ___ इसलिए शरणागति के दो उपाय हैं। और दुनिया में दो ही तरह आपके छोटे-से सागर को भी कंपाता है, जीवंत करता है। के धर्म हैं। क्योंकि शरणागति के दो ही उपाय हैं। __ अगर रात चांद को देखकर आपको अच्छा लगता है, सुखद एक तो उपाय यह है कि आप शून्य हो जाएं। बुद्ध, महावीर जो मालूम होता है, एक शांति मिलती है, तो वे चांद की किरणें हैं, जो कहते हैं, अशरण हो जाओ, वह आपको शून्य होने के लिए कह आपके भीतर के सागर को कंपित कर रही हैं, जीवंत कर रही हैं। | रहे हैं। वे कह रहे हैं, बिलकुल शांत हो जाएं, शून्य हो जाएं। शून्य
पूर्णिमा की रात दुनियाभर में सबसे ज्यादा लोग पागल होते हैं; होते से वही घटना घट जाती है, केंद्र आपके भीतर नहीं रह जाता। अमावस की रात सबसे कम। पागलपन में भी एक ज्वार-भाटा है। दूसरा मार्ग है कि आप अपने को विचार पूर्णिमा की रात दुनिया में सबसे ज्यादा अपराध होते हैं; अमावस चरणों में रख दें सिर, कि कृष्ण के चरणों में रख दें। कृष्ण अर्जुन से की रात सबसे कम। आप शायद उलटा सोचते होंगे कि अमावस कहते हैं, सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज-सब छोड़, सब की अंधेरी रात सबसे ज्यादा अपराध होने चाहिए। अपराध नहीं होते धर्म; मेरी शरण आ जा। आप किसी के चरण में सिर रखते हैं। हैं। क्योंकि अमावस की रात लोग उत्तेजित नहीं होते हैं। पूर्णिमा की ___ या तो आप शून्य हो जाएं, तो केंद्र मिट गया भीतर से। और या
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