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________________ * दृढ़ वैराग्य और शरणागति * उससे कहा, तुझे लौटाना पड़ेगा; अतीत में वापस जाना पड़ेगा। | है, उसी को हिंदू सतयुग कहते हैं। और ठीक मालूम होता है, तुझे उस दिन से फिर कहानी शुरू करनी पड़ेगी, जिस दिन पति मरे | | वैज्ञानिक मालूम होता है। क्योंकि एक व्यक्ति की जीवन-कथा जो थे। तो तू आंख बंद कर ले और जिस क्षण पहला तुझे समाचार | है, वही जीवन-कथा सभी व्यक्तियों की जीवन-कथा है। मिला पति के मरने का, वहां से फिर से तू यात्रा शुरू कर। ये पीछे ___ बच्चा निर्दोष पैदा होता है और बूढ़ा सब दोषों से भरकर मरता के जो दिन बीते, इनको भूल जा और फिर से जी। है। सतयुग बचपन है समाज का। और कलियुग बुढ़ापा है समाज __वह मेरे सामने बैठी-बैठी ही विकल हो गई। उसके हाथ-पैर में | | का; वह अंतिम घड़ी है। जब सब तरह के रोग इकट्ठे कर लिए गए। कंपन आ गया। उसकी आंखें बंद हो गईं। उसके जबड़े भिंच गए। | जब सब तरह की बीमारियां संगृहीत हो गईं। जब सब तरह के चीख और रोना शुरू हो गया। कोई पंद्रह दिन गहन पीड़ा रही। | अनुभवों ने आदमी को चालाक और बेईमान बना दिया, भोलापन लेकिन तब हल्कापन आ गया। अब वह हंस सकती है। खो गया। इस फर्क को आप समझ लें। हालांकि उस बेईमानी और चालाकी से कुछ मिलता नहीं है। रोने से सचेतन रूप से गुजरी, तो अब हंस सकती है। रोने को | | क्योंकि मिलता होता, तो बूढ़े प्रसन्न होते और बच्चे दुखी होते। दबा लिया था, तो हंसना तो दूर, हिस्टीरिया परिणाम था। | खोता ही है, मिलता कुछ नहीं है। लेकिन मन समझाता है कि अतीत को सचेतन रूप से एक बार आप देख लें. तो आप हंस होशियारी....। सकते हैं। तब बोझ तिरोहित हो जाता है। और उसके बाद ही | | मैंने सुना है कि मुल्ला नसरुद्दीन एक फैक्टरी में काम करता था, वर्तमान में जीना संभव है। तो उसका हाथ कट गया। मशीन के भीतर आ गया बायां हाथ और कट गया। महीनों के इलाज के बाद जब वह अस्पताल से वापस लौटा, उसके मित्र उसे देखने आए। और उन्होंने कहा कि आखिरी प्रश्नः गीता की धारणा है कि संसार श्रेष्ठ | | नसरुद्दीन, परमात्मा को धन्यवाद दो कि अच्छा हुआ कि दायां हाथ से अश्रेष्ठ की ओर पतन है। उसके अनुसार हिंदुओं | | न कटा, नहीं तो जिंदगी बेकार हो जाती। नसरुद्दीन ने कहा कि की सतयुग से लेकर कलियुग के अवरोहण की | धन्यवाद देने की कोई जरूरत नहीं। हाथ तो मेरा भी मशीन में दायां धारणा भी सही लगती है। लेकिन ज्ञात इतिहास | ही गया था, वह तो मैंने वक्त पर चालाकी की, दायां तत्काल बताता है कि मनुष्य-जाति नरमेध, दासता और खींचकर बायां अंदर कर दिया। दरिद्रता से निकलकर क्रमशः समृद्धि और स्वतंत्रता | तो जिसे हम आदमी की समझदारी कहते हैं, वह इससे ज्यादा की ओर गतिमान रही है। इसमें तथ्य क्या है? | नहीं है। क्योंकि फल क्या है? सारी बुद्धिमत्ता कहां ले जाती है? हाथ में बचता क्या है? बच्चे को हानि क्या है? उसकी निर्दोषता से उसका क्या खो रहा है? निर्दोष चित्त का कुछ खो ही नहीं सकता। 1 हली बात, बच्चा पैदा होता है, तब वह निर्दोष है, तब | क्योंकि उसकी कोई पकड़ नहीं है। ५ उसकी स्लेट कोरी है। न उस पर बुरा है कुछ, और न ___ मनुष्य की जो, एक-एक व्यक्ति की जो कथा है, हिंदू विचार पूरे अच्छा है। बच्चा साधु नहीं है, निर्दोष है। असाधु भी | | जीवन की कथा को भी वैसा ही स्वीकार करता है। मनुष्य-जाति का नहीं है। अंसाधु तो है ही नहीं, साधु होने का दोष भी अभी उसके | | जो आदिम युग था, वह सतयुग है। जब लोग सरल थे और बच्चों ऊपर नहीं है। अभी उसने हां और न कुछ भी नहीं कहा है। अभी की भांति थे। और यह बात सच मालम पडती है। आज भी आदिम उसने बुरा और अच्छा कुछ भी चुना नहीं है। अभी निर्विकल्प है। जातियां हैं, वे सरल हैं और बच्चों की भांति हैं। अभी उसका कोई चुनाव नहीं है। अभी च्वाइसलेस है। अभी उसे फिर सभ्यता, समझ, गणित का विकास होता है। हृदय खोता पता भी नहीं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है। अभी भेद पैदा नहीं | | है और बुद्धि प्रबल होती है। भाव क्षीण होते हैं और हिसाब मजबूत हुआ। अभी बच्चा अभेद में जी रहा है। होता है। कविता खो जाती है और गणित ही गणित रह जाता है। यह जो बच्चे की दशा है, यही दशा पूरे समाज की भी कभी रही | | आज जैसा अमेरिका है। सब चीज गणित हो जाती है। आंकड़े सब 187
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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