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________________ * गीता दर्शन भाग-7 * पागलपन की बात है। नसरुद्दीन को समझ में भी आ गया। तो उसने | | कह रहे हैं। स्वीकार करना पड़ता है कि ठीक कह रहे हैं। उस प्रतिज्ञा कर ली, कसम खा ली कि अब, अब दुबारा ऐसी भूल नहीं | स्वीकृति में आप निर्णय लेते हैं। करूंगा। लेकिन निर्णय किसके खिलाफ ले रहे हैं! न मालूम कितनी लंबी लेकिन कसमों से आदतें कभी टूटती नहीं। और कसमों से लकीरें भीतर हैं, गहरे खांचे हैं। उनमें चलने की आदत हो गई है। आदतें टूटती होती, तो सारी दुनिया कभी की बदल गई होती। और उनमें चलना सुगम है। वे खांचे बार-बार आपको खींचेंगे। सिर्फ बुद्धि को बात ठीक लगती है, उतना ही काफी नहीं है जीवन ___ अतीत में वापस उतरने का अर्थ यह है, इन खांचों को मिटाना रूपांतरण के लिए। क्योंकि जीवन बुद्धि से ज्यादा गहरा है। वहां | जरूरी है। इसके पहले कि आप कसम खाएं, बदलाहट का कोई अचेतन परतें हैं। और बुद्धि की खबर वहां तक नहीं पहुंचती। | निर्णय लें, जिससे आप छूटना चाहते हैं, उससे सचेतन रूप से पंद्रह दिन ही नहीं बीते होंगे कि फिर फकीर रास्ते पर मिल गया। गुजर जाना जरूरी है। आप प्रयोग करके देखें, कि चीज से भी आप फकीर दिखाई पड़ा, तो नसरुद्दीन उस वक्त बैलों को गाली दे रहा | सचेतन रूप से गुजर जाएंगे, उससे छुटकारा हो जाएगा। था और कोड़े मार रहा था। जैसे ही फकीर को देखा, तो उसने एक महिला मेरे पास लाई गई। उसके पति चल बसे हैं। तीन फकीर को अनदेखा कर दिया, और जोर से बैलों से कहा कि सुनो, महीने हो गए, लेकिन वह रोई भी नहीं। बुद्धिमान है; एक अगर पंद्रह दिन पहले की बात होती. तो जो बातें मैंने कहीं. वह मैं| यनिवर्सिटी में प्रोफेसर है। पढी-लिखी है। किताबें लिखी हैं। तुमसे कहता। लेकिन चूंकि अब मैं कसम खा चुका हूं, इसलिए कविताएं लिखती है। प्रवचन करती है। और जब नहीं रोई, और प्यारे बच्चो, जरा जल्दी-जल्दी चलो। उसकी आंख से आंसू न गिरे, तो आस-पास के लोगों ने भी बड़ी वह गालियां दे रहा था, लेकिन बैलों से कहा कि अगर पंद्रह प्रशंसा की। उस प्रशंसा ने अहंकार को और बल दिया। उससे वह दिन पहले की बात होती, तो ये बातें मैंने तुमसे कही होती। अब और भी अकड़ गई। लेकिन तीन महीने के बाद उसे हिस्टीरिया के चूंकि कसम खा चुका...। फिट आने शुरू हो गए; मूर्छा आने लगी। तो मूर्छा की चिकित्सा ___ जो भी हमने पीछे किया है, सोचा है, उस सबके गहरे खांचे शुरू हो गई। हमारे मन पर होते हैं। और उन्हीं खांचों को हम रोज-रोज उपयोग लेकिन किसी ने भी यह फिक्र न की कि उसने दुख की एक गहरी करते हैं, तो खांचे और गहरे हो जाते हैं। आप निर्णय भी कर लें वेदना को बिना जीए दबा लिया। यह बिलकुल स्वाभाविक था कि कि अब ऐसा नहीं करूंगा, तो इस निर्णय का खांचा तो इतना गहरा वह रो लेती। और समझदार लोग आस-पास होते, तो उसे रोने में नहीं होता, यह तो निर्णय अभी पतली लकीर है। यह निर्णय कभी सहायता पहुंचाते। यह उचित था कि घाव जी लिया जाता। वह नहीं भी हार जाएगा, क्योंकि पुराने खांचे हैं, उनकी लीकें बन गई हैं। हो पाया। भीतर रोना भरा रहा। आंसू निकलना चाहते थे; रोक लिए जैसे गांव के कच्चे रास्तों पर गाड़ी की लीक बन जाती है। फिर | गए। उन सबका बोझ भारी हो गया। मन हलका न हो पाया। उस आप बैलगाड़ी चलाएं, उसी लीक में चके फिर पहुंच जाएंगे, फिर मन के बोझ का परिणाम होने ही वाला था कि कोई भी भयानक पहुंच जाएंगे। वे गड्ढे खाली हैं; चकों को उनमें जाना आसान है। बीमारी पैदा हो जाए। ठीक मन पर लीकें हैं। अतीत का अर्थ है, अनंत लीकें। तो आप उस स्त्री की पूरी बात सुनकर मैंने उसे कहा कि कुछ और इलाज कितनी ही बातें समझ लेते हैं; बुद्धि सहमत हो जाती है; निर्णय ले | की जरूरत नहीं है, तू जी भरकर रो ले। उसने कहा, लेकिन क्या लेते हैं; संकल्प कर लेते हैं। और जब संकल्प करते हैं, तब सोचते फायदा रोने से? रोने से क्या मरा हुआ व्यक्ति मिलेगा? । हैं कि कुछ होने-जाने वाला है। घड़ी भी नहीं बीत पाती कि जो ___ मैं भी नहीं कह रहा हूं कि रोने से मरा हुआ व्यक्ति मिलेगा। रोने आपने निर्णय लिया था, वह टूट जाता है। और तब सिर्फ से तू ठीक से जीवित हो सकेगी। मरा हुआ व्यक्ति तो नहीं मिलने आत्मग्लानि पैदा होती है, और कुछ भी नहीं। वाला है। लेकिन अगर नहीं रोई, तो तू भी मरी हुई हो जाएगी। मरी __ आपके संत, आपके फकीर, आपके पंडित-पुरोहित, आप में हुई हो ही गई है। तेरा हृदय भी पत्थर जैसा हो जाएगा। सिर्फ आत्मग्लानि पैदा करवा पाते हैं और कुछ भी नहीं। क्योंकि | उसने कहा, अब बड़ा मुश्किल है। जिस क्षण पति मरे थे, उस उनकी बातें तो तर्कयुक्त हैं। आप भी कह नहीं सकते कि वे गलत समय तो आसान था; अब तो समय भी काफी बीत चुका। 186
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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